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________________ १२० आगम के अनमोल रत्न ww प्राणनाथ | मैने चौदह महास्वप्न देखे हैं । इनका फल क्या है ? कुम्भ राजा ने मधुर स्वर ने कहा- प्रिये ! तुम्हारे ये स्वप्न शुभ हैं । तुम तीन लोक में पूजे जाने वाली सन्तान को जन्म दोगी । तुम्हें इस स्वप्न से अर्थ और राज्य की प्राप्ति होगी । महाराज द्वारा अपने स्वप्नों का फल सुनकर रानी प्रभावती बड़ी प्रसन्न हुई । इस प्रकार कुम्भ राजा के वचन को हृदय में स्मरण रखती हुई महारानी प्रभावती वहाँ से उठकर अपने शयनागार में गयीं और मंगलकारी चौदह महास्वप्न निष्फल न हों इस विचार से वह शेष रात जागती रही और धर्म चिन्तन करने लगी । प्रातः काल राजा कुम्भ ने स्नान किया तथा सुन्दर वस्त्रालंकार पहनकर वे राज सभा में आये और अष्टांग महानिमित्त के ज्ञाता ज्योति - षियों को उन्होंने बुलाया । महाराज कुम्भ के आदेश पर स्वप्रपाठक आये और उन्होंने महारानी प्रभावती के चौदह स्वप्नों का फल बताते हुए कहा हे देवानुप्रिय ! हमारे स्वप्नशास्त्र में सामान्य फल देने वाले बयालिस और उत्तम फल देने वाले तीस महास्वप्न बतलाये हैं । ऐसे सब मिलाकर बहत्तर स्वप्न कहे हुए हैं । उनमें से अर्हत तीर्थङ्कर की माताएँ और चक्रवर्ती की माताएँ जब तोर्थङ्कर या चक्रवर्ती का जीव गर्भ में आता है तब तीस महास्वप्नों में से चौदह महास्वप्न देखती हैं । वासुदेव की माताएँ सात महास्वप्न और बलदेव की माताएँ चार महास्वप्न देखती हैं । माण्डलिक राजा की माताएँ एक महास्वप्न को देखती हैं । महारानी प्रभावती देवी ने १४ महास्वप्न देखे हैं अतः महारानी धर्म का प्रवर्तन करने वाले तीर्थङ्कर महापुरुष को जन्म देगी । महाराजा और महारानी स्वप्नपाठकों के मुख से स्वप्न का शुभ फल सुनकर बड़े प्रसन्न हुए । महाराजा ने स्वप्नपाठकों को विपुल धनराशि देकर सम्मानित किया और उन्हें विदा कर दिया । तीन मास के पूर्ण होने पर महारानी प्रभावती को पंचरंगे पुष्पों से आच्छादित और पुनः पुनः भाच्छादित की हुई शय्या पर सोने का
SR No.010773
Book TitleAgam ke Anmol Ratna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimal Maharaj
PublisherLakshmi Pustak Bhandar Ahmedabad
Publication Year1968
Total Pages805
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size24 MB
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