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________________ ही व्यतीत करने की भावभीनी प्रार्थना को । किन्तु आपका विचार मेशा की तरफ पधारने का था । अतः आपने वहाँ से विहार कर दिया । अरावली की पहाड़ियों से होते हुए आप उदयपुर पधार गये । सतत विहार के कारण और ग्रन्थ-संकलन की उपयोगी सामग्री के अभाव में आपका यह कार्य आगे नहीं बढ़ सका । किन्तु उनकी इस कार्य को पूरा करने की सतत इच्छा रहती थी। बम्बई में ऐक्सिडेंट से आपका शरीर दुर्वल हो गया था, शरीर की दुर्वलता प्रतिदिन बढ़ती जाती थी। लेकिन आप में वज्रसी हिम्मत थी । शरीर अस्वस्थ होते हुए भी भाप सतत स्वाध्याय, मनन व चिन्तन तथा तपस्या में लगे ही रहते थे। इसी अवस्था में सात वर्ष निकल गये। निर्मल संयम की भाराधना करते हुए वि. सं. २०२० की जेठ सुदि चतुदशी के दिन समाधिपूर्वक आप का स्वर्गवास हो गया । गुरुदेव के स्वर्गवास से दिल पर बड़ा आघात लंगा, किन्तु काल कराल के सामने किसका जोर चलता है ! गुरुदेव द्वारा स्वीकृत गांव राजकरेड़ा में अपने साथी मुनियों के साथ वर्षावास पूरा किया । कुछ समय तक राजस्थान में ही विचरण करता रहा । गुरुदेव की स्नेहमयी मूर्ति जब आँखों के सामने आती तो उनकी याद में चित्त खिन्न हो जाता था । इधर अहमदाबाद से विनती पत्र आने लगे। श्रावकों के अत्याग्रह को ध्यान में रखकर हमने अहमदाबाद की भोर विहार कर दिया । अरावली की पहाड़ियों से होते हुए हम तीनों मुनिराज अहमदाबाद पहुंच गये और पूज्य घासीलालजी महाराज साहब को सेवामें अध्ययनार्थ सरसपुर रह गये । लगभग एक वर्ष तक पूज्यश्री की स्नेहमयी छाया में रहने का अवसर मिला। चातुर्मास की समाप्ति के कुछ काल बाद सरसपुर से विहार कर दौलतखाना भाये । यहाँ 'पर तपस्वी, त्यागी, पावनमूर्ति श्री कॉन्तिऋषिजी म. से व भन्य सन्तों से स्नेह-मिलन हुआ । उस भवेपर पर सानन्द (गुजरात) का संघ भो
SR No.010773
Book TitleAgam ke Anmol Ratna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimal Maharaj
PublisherLakshmi Pustak Bhandar Ahmedabad
Publication Year1968
Total Pages805
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size24 MB
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