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________________ तोर्थङ्कर चरित्र जब दमितारि के पास दासियों नहीं पहुची तो उसने कठोर आदेश के साथ पुनः ठून को अनन्तवीर्य के पास भेजा। दूत अनन्तवीर्य के पास आया और तिरस्कार पूर्वक बोला-दमितारि का यह आदेश है कि नर्तकियों को शीघ्र ही मेज दियाआय नहीं तो तुम्हे राज्यभ्रष्ट कर' दिया जायगा। यह सुनकर अनन्तवीर्य को यद्यपि बहुत क्रोध आया किन्तु ठीक अवसर नहीं है यह आनकर अपना क्रोध प्रकट नहीं होने दिया । वह गम्भीर स्वर में बोला-महाराज दमितारि की यही इच्छा है तो मै अवश्य ही तुम्हारे साथ दासियों को भेजता हूँ। तुम अभी ठहरो संध्या के समय दोनों दासियाँ तुम्हारे पास आ जावेगी । ___राजदूत संतुष्ट हो कर विश्राम स्थान पर चला गया। विद्या के वल से अनन्तवीर्य और अपराजित ने वर्वरी और किराती का रूप धारण किया और दूत के पास आकर कहने लगी-महाराज अनन्तवीर्य ने हमें आपके पास दमितारि की सेवा में पहुंचने के लिए भेजा है मतएव चलिये हम तैयार हैं। दूत बड़ा प्रसन्न हुआ। वह दोनों दासियों को साथ में ले महाराज की सेवा में उपस्थित हो गया । दासियों को आया देख महाराज दमितारि बड़ा प्रसन्न हुभ । दमितारि ने दोनों नृत्यांगनाओं को नृत्यकला प्रदर्शित करने की आज्ञा दी। महाराज की अज्ञा से उन नटियों ने अपनी नाटयकला का अपूर्व परिचय देना प्रारंभ किया। रंगमंच पर नाना प्रकार के अभिनय दिखा कर महाराज दमितारि को एवं दर्शकों को मुग्ध कर दिया। उनके कलाकौशल को देखकर दमितारि उत्साह के साथ नर्तकियों से चोलासचमुच ही तुम कला-जगत की रत्न हो । मै तुम पर प्रसन्न हूँ। तुम आनन्द से मेरी पुत्री 'कनकधी' की सखियाँ वनकर रहो और उसे नृत्य-गान आदि की शिक्षा दो।
SR No.010773
Book TitleAgam ke Anmol Ratna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimal Maharaj
PublisherLakshmi Pustak Bhandar Ahmedabad
Publication Year1968
Total Pages805
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size24 MB
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