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________________ ये महापुरुष वे महापुरुष हैं जिन्होंने सोने, चाँदी और रत्नों से भरे हुए महलों, सुन्दरियों, सुखद भोगों, परिजनों एवं परिवारों का परित्याग कर उग्र तप किया, योग की साधना की और कर्म-मल को धोकर आत्मा को परम ज्योतिर्मय बनाया । ये महापुरुष त्याग और तपस्या की जीति आगती मशाले थीं, ये मशाले जिधर भी निकली, अपना दिव्य प्रकाश विखेरतो चली गई । इन्होंने ओ प्रकाश प्राप्त किया था वह बाहर से नहीं किन्तु अपने ही अन्दर से । अहिंसा, संयम त्याग व कठोर तप से ही इन्हें दिव्य प्रकाश मिला है । इनके दिन्य जोवन से निकलने वाला प्रकाश-पुंज कभी वुझता नहीं और न कभी मिटता है । ऐसे महापुरुषों के स्मरण से, उनके पद चिहों पर चलने से आत्मा निश्चयतः परमात्मा बन जाती है। संसार का प्रत्येक समाज, राष्ट्र और धर्म अपने गौरवपूर्ण इनिहास और पूर्वजों के पद चिह्नों पर और उनकी स्मृतियों के प्रकाश में अपने पथ को आलोकित करता हुआ उस पर आगे बढ़ता रहता है। ___ जब तक हम अपने पूर्वजों को नहीं भूलेंगे, अतीत की गौरवगाथाओं को याद करते रहेंगे तब तक निश्चय ही दुःख, दैन्य, दारिद्र , एवं विपत्तियां हम से दूर भागेंगे । ग्रन्थ लेखन की प्रेरणा वि० सं० २०१२ के साल में मेरे पूज्य गुरुदेव श्री मांगीलालजी महाराज साहब का मेरा व मेरे साथी श्री पुष्कर मुनि का मलाइ (बम्बई) में चातुर्मास था। पूज्य गुरुदेव के प्रभावशाली प्रवचनों से स्थानीय संघ में अपूर्व धार्मिक चेतना जागृत हो रही थी । इस चातुमास काल में आस पास के क्षेत्र के लोग बड़ी संख्या में पूज्य गुरु देव के मार्मिक प्रवचनों का लाभ लेने के लिये भाते थे । और विविध धार्मिक चर्चाओं के साथ साथ लोग अपने प्रश्नों का उचित समाधान प्राप्त कर हर्ष प्रकट करते थे ।
SR No.010773
Book TitleAgam ke Anmol Ratna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimal Maharaj
PublisherLakshmi Pustak Bhandar Ahmedabad
Publication Year1968
Total Pages805
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size24 MB
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