SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 8
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (४) कवि हस्तिमल्ल, पुष्पदन्त, प्रमाचन्द्र आदि विद्वानोंका परिचय रहेगा __ जैनहितैषीमें उक्त लेखोंके प्रकाशित होनेके वाद जो नई ना बातें मालूम हुई हैं, वे सब इस पुस्तकमें शामिल कर दी गई है और जो बातें पहले भ्रमवश लिख दी गई थीं, उनका इसमें. संशो. धन कर दिया गया है। अतएव जो महाशय इन लेखोंको पहले, जैनहितैषीमें पढ़ चुके हैं उनसे भी हमारा अनुरोध है कि वे एक, बार इस संग्रहका स्वाध्याय अवश्य करें। उन्हें इसमें बहुत कुर्छ, नवीनता मिलेगी । साधारण पाठकोंके लिये तो इसमें सब ही कुछ नवीन है । वे तो इसे मन लगाकर पढेंगेही। निस समय इस पुस्तकका छपाना प्रारंभ हुआ उसी समय मैं बीमार हो गया, इसलिये इसका संशोधन जैसा चाहिए वैसा नहीं हो सका। आशा है कि पाठक इस दोषपर ध्यान न देकर पुस्तकमें यदि कुछ गुण हों तो केवल उन्हें ही ग्रहण करनेकी उदारता दिखलावेंगे। ___ बम्बई. १५-१०-१२ नाथूराम प्रेमी।
SR No.010770
Book TitleVidwat Ratnamala Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathuram Premi
PublisherJain Mitra Karyalay
Publication Year1912
Total Pages189
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy