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________________ पूछ के लिए, वाल के लिए, सींग के लिए, हाथी आदि के दांत के लिए, दांत के लिए, दाढ के लिए, नख के लिए, स्नायु के लिए, हड्डी के लिए, हड्डी के भीतरी रस के लिए, किसी (और) उद्देश्य के लिए (तथा) विना किसी उद्देश्य के (व्यर्थ ही) (प्राणियों का वध करते हैं)। कुछ मनुष्य, (उन्होंने) मेरे (स्वजन की) हिंसा संभवत: की थी, इस प्रकार (कहकर) (उनका वध करते हैं)। कुछ मनुष्य, (यह मेरे स्वजन की) संभवत: (हिंसा करता है), (यह) (कहकर) (उसकी) हिंसा करते हैं, कुछ मनुष्य, (ये मेरे स्वजन की) संभवतः हिंसा करेगे, (यह कहकर) उनका वध करते हैं। 15. (यह दुःख की बात है कि) वह (कोई मनुष्य) इस ही (वर्तमान) जीवन (की रक्षा) के लिए, प्रशंसा, आदर, तथा पूजा (पाने) के लिए, (भावी) जन्म (की उधेड़-बुन) के कारण, (वर्तमान में) मरण-(भय) के कारण तथा मोक्ष (परम-शान्ति) के लिए (और) दुःखों को दूर हटाने के लिए स्वयं ही वायुकायिक जीव-समूह की हिंसा करता है या दूसरों के द्वारा वायुकायिक जीव-समूह की हिंसा करवाता है या वायुकायिक जीव-समूह की हिंसा करते हुए (करने वाले) दूसरों का अनुमोदन करता है । वह (हिंसा-कार्य) उस (मनुष्य) के अहित के लिए होता है), वह (हिंसा-कार्य) उसके लिए अध्यात्महीन बने रहने का (कारण) (होता है)। 16. (इसलिये) वह (अहिंसा-साधक) उस ग्रहण किये जाने योग्य (संयम) को समझता हुआ उठे। भगवान् से (या) साधुओं से चयनिका ] [ 15
SR No.010767
Book TitleAgam 01 Ang 01 Acharang Sutra Chayanika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1987
Total Pages199
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Grammar, & agam_related_other_literature
File Size5 MB
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