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________________ 119 अधियासए (अधियास) व 3/1 सक सया (अ)=सदा समिते (समित) 1/1 वि फासाई (फास) 2/2 विस्वरूवाई (विरूवरूव) 2/2 वि अरति (अरति) 2/1 वि रति (रति) 2/1 वि अभिभूय (अभि-मू) संकृ रीयति' (री) व 3/1 सक माहणे (माहण) 1/1 वि अवहुवादी [(अ-बहु) वि-(वादि) 1/1 वि] 119 अधियासए = झेलता है→भेला । सया-सदा । समिते- समता-युक्त । फासाईकष्टों को । विस्वरुवाई-अनेक प्रकार के । अरति = शोक को । रति-हर्प को । अभिभूय-विजय प्राप्त करके । रोयतिगमन करते हैं-गमन करते रहे। माहणे अहिंसक । अवहुवादी-बहुत न वोलने वाले। 120 लाढेहि (लाढ) 3/2 तस्सुवसग्गा [(तस्स)+(उवसग)] तस्त (त) 4/1 स उवसग्गा (उवसग्ग) 2/2 बहवे (वहव) 2/2 वि जाणवया (जाणवय) 1/2 लूसिस (लूस) भू 3/2 सक अह (अ)= उसी तरह लूहदेसिए [(लूह)-(देसिन) 1/1 वि भत्ते (भत्त) भूक 1/1 अनि कुक्कुरा (कुक्कुर) 1/2 तत्थ (अ)- वहां पर हिसिसु (हिंस) भू 3/2 सक रिणवतिस (रिणवत) भू 3/1 सक 120 लादेहि = लाढ़ देश में । तस्सुवसग्गा=(तस्स)+(उवसग्गा)) उनके लिए, कष्ट । वहवे-बहुत । जाणवया= रहनेवाले लोगों ने । लूसिसुहैरान किया । अह = उसी तरह । लूहदेसिए - रूखे, निवासी । भत्ते = पकाया हुआ भोजन । कुक्करा=कुत्ते । तत्य-वहां पर । हिसिस संताप देते थे। णितिसु =टूट पड़ते थे। 1. अकारांत धातुओं के अतिरिक्त अन्य स्वरान्त घातुओं में विकल्प से __'अ' या 'य' जोड़ने के पश्चात् विभक्ति चिह्न जोड़ा जाता है। 2. देशों के नाम प्रायः बहुवचन में होते हैं। कभी कभी सप्तमी के स्थान पर तृतीया विभक्ति का प्रयोग होता है। (हेम प्राकृत व्याकरण 3-137) चयनिका ] [ 147
SR No.010767
Book TitleAgam 01 Ang 01 Acharang Sutra Chayanika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1987
Total Pages199
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Grammar, & agam_related_other_literature
File Size5 MB
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