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________________ MAILau - - - - - -- अतीरंगमा (अ-तीरंगम) 1/2 वि तीरं (तीर) 2/1 गमित्तए (गम) हेक अपारंगमा (अ-पारंगम) 1/2 वि पारं (पार) 2/1 आयाणिज्जं (माया) विधिक 1/1 च (अ)=ही आदाय (प्रादा) संकृ तम्मि (त) 7/1 स ठाणे (ठाण) 7/1 ण (अ)= नहीं चिट्ठति (चिट्ठ) व 3/1 अक वितहं (वितह) 2/1 व पप्प (पप्प) सकृ अनि खेतणे (खेतण्ण) 1/1 वि ठाणम्मी (ठाण) 7/ 1 32767 37 तं =तो । परिगिज्म = रखकर । दुपयं = मनुष्य (को) । चउप्पयं = पशु को । अभिजुजियाणं = कार्य में लगाकर । ससिंचियाणं = वढाकर । तिविवेणतीनों प्रकार के द्वारा । जा=जो । वि= भी । से= उसके । तत्य = उस अवसर पर । मत्ता= मात्रा। भवति होती है। अप्पा= अल्प । वाया । बहुगा=बहुत । से= वह । तत्य = उसमें । गढिते = आसक्त । चिट्ठति = रहता है । भोयणाए = भोग के लिए । ततो वाद में । से= उसके लिए। एगदा= एक समय । विप्परिसिट्ठ-बचा हुआ। संभूतं = उपलब्ध । महोवकरणं (मह+उवकरणं)- महान् साधन । भवति हो जाता है। तं = उसको। पि=भी। से= उसके । एगदा= एक समय । दायादा = उत्तराधिकारी । विभयंति=बांट लेते हैं। अदत्तहारो-चोर । वाया । सेऽवहरति (से+अवहरति)= उसका अपहरण कर लेता है । रायाणो=राजा । वाया । से= उसका उसको। विलुपंति = छीन लेते हैं। से = वह । णस्सति = नष्ट हो जाता है। विणस्सति = विनाश हो जाता है। अगारवाहेण = घर के दहन से । डझति = जला दिया जाता है। इति = इस प्रकार । से वह । परस्सऽछाए (परस्स-+-अट्ठाए) = दूसरे . 1 'खेतण्ण का एक अर्थ 'धूर्त' भी होता है । (Monier Williams. Sans. Eng. Dictionary, P. 332) 722167 * चयनिका ] [ 101
SR No.010767
Book TitleAgam 01 Ang 01 Acharang Sutra Chayanika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1987
Total Pages199
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Grammar, & agam_related_other_literature
File Size5 MB
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