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________________ 4 / 1 वालाए ( वाल) 4 / 1 सिंगाए (सिंग) 4 / 1 विसाणाए ( विसारण ) 4/1 दंताए (दंत) 4/1 दाढाए (दाढ) 4/1 नहाए (नह) 4 / 1 हारुणीए ( व्हारुणी) 4/1 अट्ठिए' (अट्ठि) 4/1 अट्ठिमिजाए ( घट्ठिमिजा) 4 / 1 अट्ठाए ( श्रट्ठ) 4/1 अणट्ठाए (प्रगट्ट ) 4 / 1 हिंसिसु (हिस) भू 3 / 2 सक मे (ग्रह) 6 / 1 स ति ( अ ) = इस प्रकार वा ( अ ) = संभवत: हिसंति (हिस) व 3 / 2 सक हिसिस्संति ( हिंस) भवि 3 / 2 सक रगे (त) 2/2 स । 14. से = वाक्य की शोभा । वेमि = कहता हूं मनुष्य । अच्चाए = पूजा-सत्कार के लिए । अजिणाए = हरिण आदि के चमड़े के लिए । मंसाए = मांस के लिए । चर्हेति = वध करते हैं । सोणिताए= खून के लिए। हिय्याए = हृदय के लिए । वहति = वघ करते हैं । एवं इसी प्रकार । पित्ताए = पित्त के लिए । वसाए = चर्बी के लिए। पिच्छाए = पांख के लिए । पुच्छाए: पूंछ के लिए । वालाए =वाल के लिए। सिंगाए = सींग के लिए । विसाणाए = हाथी आदि के दांत के लिए । दंताए = दाँत के लिए । दाढाए = दाढ के लिए । नहाए = नख के लिए | व्हारुणीए = स्नायु के लिए । अट्ठिए = हड्डी के लिए। अट्ठिमिजाए = हड्डी के भीतरी रस के लिए । अट्ठाए = किसी उद्देश्य के लिए । अणट्ठाए = बिना किसी उद्देश्य के । अप्पेगे (ग्रप्प - एगे) = कुछ मनुष्य । हिंसिसु = हिंसा की थी । मे मेरे । ति= इस प्रकार । वा = संभवतः । हिंसंति = हिंसा करते हैं । हिसिस्संति = हिंसा करेंगे। से= उनको । वर्धेति = वध करते हैं । 1 अप्पेगे (अप्प - एगे ) = कुछ वर्षेति = वध करते हैं । 15. मूत्र 5, 8 एवं 10 का व्याकरणिक विश्लेषण देखें । वाउसत्थं | ( वाउ) - ( सत्य ) 2 / 1 15. सूत्र 8, 9, व 10 का शब्दार्थ देखें । वाउसत्थं = वायुकायिक जीव-समूह | 1. नियमानुसार 'श्रट्ठीए होना चाहिए। यह अपवाद प्रतीत होता है । चयनिका ] [ 85 ]
SR No.010767
Book TitleAgam 01 Ang 01 Acharang Sutra Chayanika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1987
Total Pages199
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Grammar, & agam_related_other_literature
File Size5 MB
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