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________________ संकेत-सूची प्राज्ञा कर्म (अ) =: अव्यय (इसका अर्थ भूक __= भूतकालिक कृदन्त = लगाकर लिखा व = वर्तमानकाल गया है) व = वर्तमान कृदन्त अक = अकर्मक क्रिया वि = विशेषण अनि = अनियमित विधि = विधि = आज्ञा विधिकृ = विधि कृदन्त = कर्मवाच्य = सर्वनाम संक = सम्बन्ध भूत कृदन्त (क्रिवित्र) = क्रिया विशेषण सक = सकर्मक क्रिया अव्यय (इसका अर्थ सवि ____ = सर्वनाम विशेषण = लगाकर लिखा स्त्री = स्त्रीलिंग गया है) हेक = हेत्वर्थ कृदन्त ( ) = इस प्रकार के कोष्ठक में मूल = तुलनात्मक विशेषण शब्द रक्खा गया = पुंल्लिग = प्रेरणार्थक क्रिया ()+ ( )+( )........] = भविष्य कृदन्त इस प्रकार के कोष्ठक के अन्दर + = भविष्यत्काल चिह्न किन्हीं शब्दों में संघि का द्योतक भाव = भाववाच्य है। यहां अन्दर के कोष्ठकों में गाथा भू = भूतकाल के शब्द ही रख दिये गये हैं। 76 ] [ प्राचारांग
SR No.010767
Book TitleAgam 01 Ang 01 Acharang Sutra Chayanika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1987
Total Pages199
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Grammar, & agam_related_other_literature
File Size5 MB
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