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________________ . ४ अभी देवद्रव्यकी द्धि बहुत होगई है या नहीं? . देवद्रव्य की वृद्धि बहुत होगई है इसलिये अभी देवद्रव्यकी वृद्धि करनेकी जरूरत नहीं है, ऐसा विजयधर्मसूरिजीका लिखना सर्वथा झूठ है. . - ४२ पहिले राजा, महाराज, बलदेव, वासुदेव, चक्रवर्ती, शेठ, सेनापति, सार्थवाह वगैरह लाखों, करोडों, या अरबों रुपये अपने घरसे खर्च करके जीर्णोद्धारादि कार्य करते थे, और मोती, माणिक्य, स्वर्ण, रत्नादिकसे भगवान् की हमेशा पूजा करते हुए उनसे देवद्रव्यकी इंद्धि करते थे तथा स्वर्ण के जिनमंदिर व रत्नोंकी जिन प्रतिमा भरवातेथे, संप्रति राजा जैसे महान् पुण्यशाली पुरुषने सवालक्ष जीर्णोद्धार करवाये, सवाकरोड जिन बिंब भरवाये, उनकी सार संभाल प्रभू भाक्ति की व्यवस्थाके लिये करोडों रुपयों की अपने राज्यकी वार्षिक आवक खर्च की थी तथा उस समय जैन समाजमें हजारों करोंड पती सेठं साहुकार अपने घरके करोडौं रुपये भगवान् की भक्तिमें खर्च करनेवाले मौजुद थे, उस समयभी भक्तजनों के भगवान्की. भक्तिमें व आत्मकल्याणमें विघ्न डालने 'रूप अभी देवद्रव्यकी वृद्धि बहुत होगई है अब उसकी वृद्धि करनेकी जरूरत नहीं है. ऐसा कहनेका किसीनेभी साहस नहीं किया था, तिसपरभी अभी इस पडते कालमें विजयधर्म सूरिजी देवद्रव्यकी वृद्धि बहुत होगई है अब उसकी वृद्धि करनेकी जरूरत नहीं है, ऐसा लिखकर देवद्रव्यकी वृद्धि करनेवाले भक्त लोगोंके आत्म कल्याण रूप भंगवान की भक्तिों व जीर्णोद्धारादि कार्योंमें विघ्न डालते हैं। यह बंडी भारी भूल है, पूर्व समयकी अपेक्षा से अभी देवद्रव्य बहुत कम है. .. ,४३ अभी हिन्दुस्थानमें अनुमान ३६ हजार जिन मंदिर मौजुद कहे जाते हैं उन्हों के जीर्णोद्धारादिक कार्योंमें अभी अनुमान ४.०.या ५०, करोडरुपयों का खर्च होसके और . तीर्थ क्षेत्रादि सर्व शहर तथा सर्वगांवडोंके ज़िनमंदिरोमें आभूषणादिव रोकडं सब मिलकर अनुमान
SR No.010764
Book TitleDev Dravya ka Shastrartha Sambandhi Patra Vyavahar
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherMuni Manisagar
Publication Year1922
Total Pages96
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Devdravya
File Size5 MB
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