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________________ [१२] को उपदेश करते हैं सो यह कौन से शास्त्र प्रमाण से या ‘युक्ति से कहते हैं उसका खुलासा ऊपर की १९ कलमों के सब लेख के साथही करें. अगर बुद्धिही फिर गई हो तो इस बात में हम कुछ भी कह सकते नहीं. पाठकगण आप ही तत्त्व बात को विचार लेंगे. . श्रीमान-विजयधर्म मूरिजी-ऊपर के लेखकी १९ कलमों को पक्षपात रहित होकर आप पूरीपूरी- पढिये, न्याययुक्त सत्य होवे उनको ग्रहण करिये और स्वप्न व घोडीया पालने के चढावे के देवद्रव्य को साधारण खाते में ले जाने संबंधी आपकी अनुचित प्ररूपणा को पीछी खींचकर अपनी भूलका सर्व संघ समक्ष मिच्छामि दुक्कडं दीजिये नहीं तो उपरकी १९ बातोंका पूरापूरा खुलासा करिये. विशेष क्या लिखें. २-पूजा आरती में चढावा क्लेश निवारणके लिये है या ___ भगवान की भक्ति के लिये है ? श्रीमान् विजयधर्म सूरिजीने मंदिर में भगवान की पूजा , आरती. की बोली के चढावेका मुख्य हेतु क्लेश निवारण का ठहराया है यह सर्वथा अनुचित है क्योंकि भगवान् की पूजा आरती के चढावे में मुख्य हेतु क्लेश निवारण का नहीं, किंतु भगवान् की भक्ति, देवद्रव्य की वृद्धि, जैन शासन का उद्योत और अपनी आत्मा के भावों की विशेष निर्मलता होने से परम कल्याणरूप मोक्ष की प्राप्ति का कारण है, देखिये : २० अपने अनुभव से भी यही मालूम होता है, कि बहुत भाविक जन अपने मनमें ऐसी भावना रखते हैं कि आज अमुक पर्वका । दिवस है, इसलिये मेरी शक्तिके अनुसार आज .१०-२०, या १००२०० रुपये भगवान् की भक्ति के लिये देवद्रव्य में देना और आम तो.
SR No.010764
Book TitleDev Dravya ka Shastrartha Sambandhi Patra Vyavahar
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherMuni Manisagar
Publication Year1922
Total Pages96
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Devdravya
File Size5 MB
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