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________________ १० पार्श्वनाथस्वामी तीर्थंकर तो अभी हुए हैं मगर जब उन्होंने तीर्थंकर नाम गौत्रभी बांधा नहीं था तबसे ही गई चौवीशी से ही भावी तीर्थकर होनेवाले जानकर पार्श्वनाथस्वामिकी प्रतिमा तीर्थकर रूपमें पूजनों शुरू होगया था उनको चढाया हुआ द्रव्यमी देवद्रव्यमें ही गिना गया है. .. ११ अब विचार करना चाहिये कि तीर्थकर हुएभी नहीं तोभी उन्हों की भक्ति के लिये चढाया हुआ द्रव्य देवद्रव्य होता है, तो फिर साक्षात् तीर्थकर होगए उन्होंकी भक्ति के लिये स्वप्न उतारने वगैरहमें चढाया हुआ द्रव्य देवद्रव्य होवे उसमें कहनाही क्याहै ? इसको साधारण खातेकहना यहतो प्रत्यक्षमें देवद्रव्यको अन्यखाते लेजानेका दोषी बनना है। - .१२ अगर कहा जाय कि स्वम और पालना वगैरेहका चढावा हरीफाई याने देखादेखीसे करते हैं इसलिये उसका द्रव्य साधारण खाते लेजाने में कोई दोष नहीं, ऐसा कहनाभी सर्वथा अनुचित ही है. क्योंकि देखिये-एक श्रावकने भगवान की ८ प्रकार पूजा भगाई तो उनकी देखादेखी की हरीफाई से दूसरे ने १७ भेदी भणाई तो भी उनका द्रव्य देव द्रव्य होने से साधारण खातेमें नहीं हो सकता. और भी देखो-एक श्रावक ने गुरु महाराज को वस्त्र, कंबल, पुस्तकादि वहोराये, तो उनकी देखादेखीकी हरीफाईसे दूसरेने उससे भी बहुत विशेष वस्त्र, पात्र, कंबल, पुस्तकादि वहोराये तो भी वो गुरु द्रव्य होने से गुरु महाराज के ही उपयोग में आ सकता है मगर हरीफाई के नाम से साधारण नहीं हो सकता और अन्य किसी गृहस्थी के उपयोग में भी नहीं आ सकता. इसी तरह कोई भगवान की भक्ति के लिये, कोई देव द्रव्यकी वृद्धि के लिये, कोई देखादेखी की हरीफाई के लिये, कोई नामके लिये, कोई समुदाय की शर्म वगैरह कोईभी कारण से स्वप्न, पालना, आरती, पूजा " वगैरह कार्योंके चढावे बोले मगर यह सब कार्य भगवान्का भक्ति के लिये किये जाते हैं, उससे इनका द्रव्य देवद्रव्य होता है. इसलिये हरीफाईके
SR No.010764
Book TitleDev Dravya ka Shastrartha Sambandhi Patra Vyavahar
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherMuni Manisagar
Publication Year1922
Total Pages96
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Devdravya
File Size5 MB
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