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________________ पत्र ७९, ८.] .. विविध पत्र आदि संग्रह-२३वाँ वर्ष इसके ऊपरसे चार वेद, चार आश्रम, चार वर्ण और चार पुरुषार्थोंके संबंधमें यहाँ कुछ विचार करनेकी इच्छा है; उसमें भी मुख्यरूपसे चार आश्रम और चार पुरुषार्थोके संबंधमें विचार करेंगे; और अन्तमें हेयोपादेयके विचारके द्वारा द्रव्य, क्षेत्र, काल और भावपर विचार करेंगे । जिन चार वेदोंमें आर्य-गृहधर्मका मुख्यरूपसे उपदेश दिया गया था, वे वेद निम्नरूपसे थे बम्बई, पौष १९४६ प्रयोजन "जो मनुष्य धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष इन चार पुरुषार्थों को प्राप्त कर सकनेकी इच्छा करते हों उनके विचारों में सहायक होना-" इस वाक्यमें इस पत्रको लिखनेका सब प्रकारका प्रयोजन दिखा दिया है, उसे कुछ न कुछ स्फरणा देना योग्य है। इस जगत्में भिन्न भिन्न प्रकारके देहधारी जीव हैं; तथा प्रत्यक्ष और परोक्ष प्रमाणोंसे यह सिद्ध हो चुका है कि उनमें मनुष्यरूपमें विद्यमान देहधारी आत्मायें इन चारों वर्गोको सिद्ध कर सकनेमें विशेष सक्षम हैं। मनुष्य जातिमें जितनी आत्मायें हैं वे सब कहीं समान वृत्तिकी, समान विचारकी, समान अभिलाषाकी और समान इच्छावाली नहीं हैं, यह बात हमें प्रत्यक्ष स्पष्ट दिखाई देती है। उनमेंसे हर किसीको सूक्ष्म दृष्टिसे देखनेपर उनमें वृत्ति, विचार, अभिलाषा और इच्छाओंकी इतनी अधिक विचित्रता मालूम होती है कि बड़ा आश्चर्य होता है । इस आश्चर्य होनेका बहुत प्रकारसे विचार करनेपर यही कारण दिखाई देता है कि किसी भी अपवादके विना सब प्राणियोंको सुख प्राप्त करनेकी इच्छा रहा करती है, और उसकी प्राप्ति बहुत कुछ अंशोंमें मनुष्य देहमें ही सिद्ध हो सकती है। ऐसा होनेपर भी वे प्राणी सुखके बदले दुःखको ही ले रहे हैं, उनकी यह दशा केवल मोहदृष्टिसे ही हुई है। बम्बई, पौष १९४६ महावीरके उपदेशका पात्र कौन है? १. सत्पुरुषके चरणोंका इच्छुक, .....२. सदैव सूक्ष्म बोधकी अभिलाषा रखनेवाला, . ३. गुणोंपर प्रेमभाव रखनेवाला, ४. ब्रह्मवृत्तिमें प्रीति रखनेवाला, ५. अपने दोषोंको देखते ही उन्हें दूर करनेका उपयोग रखनेवाला, ६. प्रत्येक पलको भी उपयोगपूर्वक बितानेवाला, . ७. एकांतवासकी प्रशंसा करनेवाला, . . . . . . . ८.
SR No.010763
Book TitleShrimad Rajchandra Vachnamrut in Hindi
Original Sutra AuthorShrimad Rajchandra
Author
PublisherParamshrut Prabhavak Mandal
Publication Year1938
Total Pages974
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, N000, & N001
File Size86 MB
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