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________________ श्री शांतिनाथ चरित्र. (७७) . विगेरे सर्व लब्धियो प्राप्त थइ. एक दिवस इंश् देवसन्नामां हर्षथी प्रशंसा करवा लाग्यो के, “सनत्कुमार मुनि जेवी रीते रोगने सहन करे ने तेवी रीते बीजो को करशे नहि." इंश्नां आवां वचन सानली नत्पन्न श्र ने इर्ष्या जेमने एवा ते विजय अने वैजयंत बन्ने देवतान वैद्यनां रूपने धारण करी तत्काल सनत्कुमार मुनिनी पासे आव्या अने कहेवा लाग्या के, “हे राजर्षि! तमारा आ सर्वे रोगोनो अमे तत्काल नाश करीए.” मुनिए कडुं."कया रोगोनो नाश करवामां तमारी शक्ति ?" देवतानए कहूं. “हे साधु ! केटला प्रकारना महारोगो कहेला ?" मुनिये कडं. “हे वैद्यो! वाद्य अने आत्यंतर एवा नेदथी रोगो वे प्रकारना . तेमां कया रोगोनो नाश करवामां तमारी शक्ति ?" तेनए कह्यु."हे मुनि! बाह्य रोगनो नाश करवामां अमारी शक्ति के." ते सांजली मुनिये कडं. “हे महानाग! ते शक्ति तो म्हारी पण जे.” एम कही मुनिये पोताना हायनी आंगली पोताना मुखमां नांखी सुवर्ण समान बनावी आपीने तेमने का के, " श्लेष्मादिकथी म्हारा बाह्य रोगो नाश थाय डे; परंतु आन्यंतर रोगो 'नाश पता नथी तेनो तमे विनाश करो." देवतारूप वैद्योए कह्यु. “हे साधु ! आज्यतर रोग समाववाने अमारी शक्ति नथी. ते रोगोने नाश करवामां तो तमारीज शक्ति ने.” एम कही तेनुए पोताना स्वरूपने प्रगट करी देवसन्नामां इंडे करेली तेमनी प्रशंसा कही संजलावी. पठी ते मुनिने नमस्कार करी स्वर्गप्रत्ये गया. मुनि सनत्कुमार पण अनशन व्रत धारण करी सनत्कुमार देवलोक प्रत्ये गया. त्यांथी चवीने महाविदेह क्षेत्रने विषे कर्मनो कय करी सिदि पामशे. पञ्चास हजार वर्ष कुमार अवस्थामां, पञ्चास हजार वर्ष सामान्य राजापणे, एक लाख वर्ष चक्रवर्तीपदे अने एक लाख चारित्रमा एम ए सनत्कुमार चक्रवर्तीनु कुल त्रण लाख वर्षनुं आयुष्य हतुं. ॥इति सनत्कुमार चक्रवर्ती चरित्रम् ॥ AAAM ॥श्री शांतिनाथ चरित्रम् ॥ जेमणे गर्नमा रह्या उतां सर्व जीवोने शांति करी , ते शांतिना करपहार श्री शांतिनाथने हुं नमस्कार करुं ९. श्री शांतिनाथ जिनेश्वरना वार ,
SR No.010762
Book TitleAdinath Charitra
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages489
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Story, Mythology, & Literature
File Size32 MB
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