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________________ __ श्री सगर चक्रवर्ती चरित्र. . (६३) राजकुमारो विना अमे सौ श्राव्या बीए.” आम विचार करतां अग्निमां प्रवेश करवो योग्य धारी तेन सौ ते प्रमाणे तैयारी करवा लाग्या, एवामां ते वखते को एक ब्राह्मण त्यां आवी चड्यो. ब्राह्मण तेनी आवी तैयारी जो कहेवा लाग्यो के, “तमे वृथा खेद करवो त्यजी दो. कारण माणसने सुख दुःख प्राप्त पाय एकां आश्चर्य नथी.आ आदि अनेअंत रहित एवा संसारमा नाना प्रकारना कर्मने वश थर रहेला जीवोने एवी को वस्तु नथी के, जेनो क्षय थतो नदि होय. माटे हे सामंतो! तमे मृत्यु पामशो नहि अने सगर चक्रवर्तीने आ सर्व व्रतांत हुं कहीश.” ब्राह्मणनां आवां वचन सांजली तेन घणो हर्ष पाम्या. पी ब्राह्मण “हुं ठगायो बुं! हुं बेतरायो बुं!!” एम पोकार करतो दीनमुखवालो थ राजधारे आव्यो, त्यां सगर राजाए पोकार करता ते ब्राह्मराने तत्काल बोलावीने पूग्यु के, "हे धिजे ! तुं कोनाथी ठगायो ?" तेणे उत्तर आप्यो के, “हुं दैवथी ठगायो बु. कारण के, म्हारे एकनो एकज पुत्र हतो, तेने इष्ट साप करमवाथी ते तत्काल निर्जीव थ गयो ने. माटे हे कृपानिधि ! म्हारा नपर दया करी तेने जीवतो करो.” आ वखते पेला प्रधान विगेरे सामंतोए वीने सगर चक्रवर्तीने नमस्कार कस्यो. पठी सगर राजाए वैद्य लोकोने आशा करी के, “हे वैद्यो! ए ब्राह्मणना पुत्रने सापना विषयी मुक्त कसे." वेद्यो ब्राह्मणने घेर गया अने पुत्रने मरी गयेलो जोइ फरी राजा पासे आवी कदेवा लाग्या के, “दे नृपें! ए पुत्र मृत्यु पामेलो; माटे हवे जेना कुलमां के जेना गोत्रमा कोइ पण मरी गयुं न होय तेना घरेयी जस्म मंगावी आपो तो हुं तेने जीवतो करीए.” वैद्यनां आवां वचन सांजली सगर चक्रवर्तीये तेवा कुल अथवा गोत्रना घेरथी नस्म लश् आववानी पोताना सेवकोने आज्ञा आपी, परंतु ते यत्नश्री शोधतां पण क्यांश्थी मली शकी नहि. कारण के, सर्व कुलने विषे मरण श्रयेलांज हता. आ वात वैये राजाने करी एटले तेणे ब्राह्मणने कह्यु के, “हे जि ! तुं शा कारण माटे शोक करे वे. जगत्मां मृत्यु साधारणरुप ने तो पठी त्हारे पुत्रनो शोक करवो घटे नहि. केमके आ संसारज निश्चय जन्ममृत्युरुप बे; माटे दे जि! तुं रुदन मूकी दश् शोकनो त्याग करी आत्महित कर, कारण के, तने पण श्रोमा कालमांज मृत्युरूप सिंह गली जशे." ब्राह्मणे की. " है नाथ! आप कहोगेते सत्य
SR No.010762
Book TitleAdinath Charitra
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages489
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Story, Mythology, & Literature
File Size32 MB
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