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________________ (५७) ऋषिमंमलत्ति-पूर्वाई. हवे प्रथम चक्रवर्ती एवा नरतमुनिनी स्तुति करे . जरहमहारायरिसिं, गिहिवेसुपन्ननाणवररयणं॥ दसहिं सहस्सेहि समं, निखंतं वंदिमो सिरसा ॥४॥ अर्थ-जेमने गृहस्थना वेशमांज केवलज्ञानरूप रत्न नत्पन्न थयुं ने अने जेमणे दशहजार राजाननी साये चारित्र अंगीकार करयुं ने एवाते नरत महा राजर्षिने अमे मस्तकवमे नमस्कार करीए गए. हवे महाबल एवा बाहुबलि महर्षिनी स्तुति करे . हबिविलग्गस्स न केवलं तिसोकण व रिसपमिमंते ॥ पयपनमसमुप्पामिअ-नाणवरो जयन बाहुबली ॥५॥ अर्थ-जेमणे एक वर्ष कायोत्सर्गे रह्या पनी "हाथी (गर्वरूप हाथी) नपर चमेलाने केवलझान न होय.” एवां पोतानी व्हेनोनां वचन सांजली आगल चालवा माटे पग नपामवाथी जेमने केवलज्ञान प्राप्त अयुं बे एवा बाहुबलि जयवंता वर्तों ॥ ५ ॥ आजरत अने बाहुबलिनो संबंध श्री शषनदेवना चरित्रधी जाणी लेवो. हवे नरतराजाना वंशना अजितनाथ सुधीना सर्व राजर्षिननी स्तुति त्रण गाधाथी कहे . सुरवणा अहिसित्ता, नरहपए अचलरहवरपहुणो॥ . आश्चजसप्पमुहा, अहवि सासयसुहं पत्ता ॥६॥ अर्थ-सौधर्मं जेवी रीते नरतराजाने केवलज्ञान नत्पन्न अयुं ते वखते तेमनो केवल महोत्सव करीने तेमना पदे तेमना पुत्रने राज्याभिषेक कस्यो तेज प्रकारे अर्ध चक्रवर्तीनो अर्धा लरतक्षेत्रना राज्यने विषे राज्याभिषेक कस्यो .नरतना पुत्रोनो वंश नीचे प्रमाणे १ आदित्ययशा, २ महाबल. ३ अतिवल. ध बलन्न, ए बलवीर्य, ६ कार्तवीर्य; ७ जलवीर्य अने उ दंमवीर्य एम आठ आठ पुत्रो साश्वता सुखने पाम्या ने. ते वात आदिनाथना चरित्रथी 'जागी लेवी ॥६॥ अन्नेवि पुहविवश्णो, नसनस्स पनप्पए असं खिला॥ जाव जिप्रमत्तुराया,अजियजिण पिया समुप्पन्नो ॥७॥
SR No.010762
Book TitleAdinath Charitra
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages489
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Story, Mythology, & Literature
File Size32 MB
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