SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 467
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ पांमव चरित्र. (४६१) कर्णनां शस्त्रोने बेतरी नीमपुत्र (घटोत्कच) विगेरे वीर पुरुषोथी विंटलायेला अर्जुनपुत्र अन्तिमन्युए प्रवेश कस्यो. जुर्योधनादिके, नीमादि पुरुषोने व्यूहनी 'बहार रोके ते महा पराक्रमवाला अनिमन्युअने जयश्थ बन्ने सुन्नटो परस्पर युह करवा लाग्या, बहु काल पर्यंत दिव्यलोह शस्त्रवमे यु६ करीने पी श्रर्जुनने दुःख पमामवा माटे जयश्ये सायंकालने विषे अन्तिमन्युने स्वर्ग लोकप्रत्ये मोकल्यो. पुत्र अनिमन्युना मृत्युने सांजली बहु क्रोध पामेला अर्जुने प्रतिज्ञा करी के, “जो हुं आजे जयश्यने नहि मारूं तो हवे पनी आ नवमां नोजन करीश नहि." जो के क्रोधथी जयश्यने मारवा जता एवा अर्जुनने शेणादिके युमा रोकी राख्यो, तोपण तेणे अमोघ बाणो फेंकवाथी शत्रुना स्थानने बहु रुधिरना कादववालुं करी मूक्यु. नीम अने सत्यकी, अर्जुननी सहाय्य माटे जता हता; परंतु ऽर्योधने नीमने अने नूरिश्रवाए सत्यकिने रोकी राख्यो. जाणे बीजा बहु रंगोथी घेरायेलो एक जातनो रंग होयनी ? एम ते अनेक राजानथी रक्षण करायला जयश्य राजाने सांजे अर्जुने दीगे. नीमसेनना अने फुर्योधनना, नूरिश्रवाना अने सत्य किना, अर्जु. नना अने जयश्थनाआड राजानना परस्पर एक बीजा नपर फेंकातां शस्त्रोए करीने विश्वना मनुष्योने प्रलयकालनी 5:सह शंका नत्पन्न अश्. अर्जुने पोता'नी प्रतिज्ञा, स्मरण करता उता सायंकालने वखते जयश्थना रथने अने सारथीने बेदन नेदन करीने तथा तेने शस्त्र रहित करीने बहु क्रोधथी मारी पाख्यो. पांमुपुत्रोए, चौदमा दिवसनी सांज सुधीमा र्योधन नूपतिनी सात अदौहिणी सेनानो नाश करी नाख्यो. पली बहुज थोमा सैन्यवाला कौरवोए रात्रीने विषे युद्ध करवानो विचार करीने पांडवो सूता इता एवामां घुमनी पेठे तेमना नपर तत्काल धसारो कस्यो. श्रा वखते नीमना सरखो महा जयंकर अने मायावि नीम पुत्र घटोत्कच, अनेक शस्त्रोवाला युध्धी शत्रुना पकने आश्चर्य पमामतो तो त्यां युः६ करवा लाग्यो. तेने कर्णे अखंमित शस्त्र समूहथी तिरस्कार करयो. घटोत्कचे पण गदावमे कर्णना शस्त्र समूहने कापी नाख्या. पठी बहु क्रोध पामेला कणे, देदीप्यमान अग्निना कणोथी व्याप्त एवी देवतानए आपेली शक्ति घटोत्कच सामे फेंकी, जेश्री ते नीमपुत्र निश्चे प्राण रहित अयो. बीजे दिवस सवारे काल समान
SR No.010762
Book TitleAdinath Charitra
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages489
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Story, Mythology, & Literature
File Size32 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy