SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 455
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ पांव चरित्र. ( ४५१ ) श्री नीचे पतुं मूकी नासवा लाग्यो. पावल अर्जुन पण तुरत रथथी नीचे तरी कहेवा लाग्यो. " हे उत्तराकुमार ! तुं धीरज राखी म्हारो सारथी था, , जेथी करी हुं सर्व शत्रुनने जीती व्हारी विस्तारवाली कीर्तिनुं स्था-पन करूं. हे राजपुत्र ! तुं नय त्यजी दइ श्मसानमां खीजमाना वृक्ष नपर शबथी ढंकायेलां अमारां शस्त्रोमांथी म्हारां धनुष्य बाराने लावी आप के, हुँ जे करीने श्राहारा सर्व शत्रुनने मारी नाखुं.” पटी उत्तराकुमारे धनुष्यबाण लावा बते श्रर्जुने पोतानुं अने पोताना जाइयोनुं खरुं स्वरूप कही दीधुं. त्या पीते, धनुष्यबाण हाथमां लइ रथनपर बेसी शत्रुनना सन्मुख चाल्यो. sa कौरवनी सेनामां रहेला भीष्मे, दिव्य शंखना जयंकर शब्दश्री अर्जुनने जो तुरत दुर्योधनने कह्युं के, " निश्वे या स्त्री वेशधारी अर्जुन देखाय बे. हे धृतराष्ट्रपुत्र ! श्रा पांवो श्रवसरे श्रावी पहोच्या बे, माटे तेन, ariad बंधु सहित मारी नाखशे, माटे तुं श्रा अर्जुननी साथे ऊट संघी कर नहिंतो था म्होटा सैन्यना चोथा नागथी रक्षण करायेलो तुं गायोना धने साधे लइ नासी जा ने अमे या सैन्यना मध्य जागने विषे रही मुं. ह्युं बे के - सर्व प्रकारथी राजानुं रक्षण करवुं जोइए.” पितामह ( दादा ) नां आवां वचन सांजली बीकण दुर्योधन, गायोना धराने साथे लइ पोतानां सैन्यना चोथा नाग सहित चाली निकल्यो. दुर्योधनने नासी जतो जोइ श्रर्जुने उत्तराकुमारने क. " अरे कुमारराज ! श्रा दुर्योधन म्हारा बहु जयश्री नाशी जाय बे, माटे तुं आ तरफ अश्वोने ऊट वाल अर्जुननां श्रावां वचनश्री कुमारे सूर्यना रथनी पेठे शीघ्र चलावेलो रथ तुरत शत्रुनां सैन्य पासे यात्री पहोच्यो. त्यां अर्जुनना रथने देखवा मात्रथी शत्रुनुं सैन्य बहु दीन बनी गयुं. अर्जुने पोतानो शंख वगाड्यो, तेना शब्दथी मोह पामेली स ,, गायो चा बा करीने तुरत पोतानां नगर प्रत्ये नासी गइ पढी अर्जुने sara. " अरे मूर्ख ! तें प्रथम कुलने कलंक दीधुं वे अने हवणां प! ए गायोनुं हरण करी जयथी नासी जवा मांग. शत्रु मख्या बतां तुं क्यां नासी वान वे ? वे तो धनुष्य धारण करीने तैयार था. एम कहने - र्जुने पोतानुं धनुष्य हाथमां लीधुं. इंइपुत्र (अर्जुन) नां चलतां वालोना समूदरूप मेघथी श्राकाश चारे तरफ ढंकाइ गयुं ने सूर्य पण पोतानो परानव ""
SR No.010762
Book TitleAdinath Charitra
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages489
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Story, Mythology, & Literature
File Size32 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy