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________________ ( ४१५ ) ऋषिमंमलट त्ति - पूर्वाई. चतुर बुद्धिवाला गुणइ शेागुरूए हर्षथी अर्जुनने राधावेध शीखव्यो भने जीन तथा दुर्योधनने गदान्यास कराव्या. युधिष्टिर, नकुल ने सहेदव ए त्रण वीर पुरुषो पण शस्त्र विद्यामां प्रवीण थया. अश्वत्थामा ( शेाना पुत्र ) पण प्र नावी ने जुबली कर्ण तथा अर्जुन समानं थया. एक दिवस शेलगुरुनी आज्ञाश्री गांगेये पोताना महा सुनट पुत्रोनो युद्धारंभ जोवानी इहाश्री दर्पवने रंगमंमप रचाव्यो. तेमां शेरा, पांशु, धृतराष्ट्र, प्रने समर्थ एवा गंगापुत्र (गांगेय) हर्षथी बेटे बते सर्व प्रकारनां शस्त्रोने धारण करनारा श्रने महापराक्रमवंत एवा युधिष्ठिरादि सर्वे कुमारो श्राव्या. तुरत सभामां यु. रंगने धारण क रता ने पोताना शस्त्राज्यासने देखामता ते सर्वे कुमारोए सर्वे भूपतिनां चित्तमां एवो विस्मय उत्पन्न कस्यो के, जेने सर्वज्ञ पुरुषज जाली शके अवसर मलवाश्री वीरपुरुषोमां श्रेष्ठ एवा जीम ने दुर्योधन परस्पर युद्ध करवा लाग्या; परंतु पोताना गुरुनी प्रज्ञाश्री वलवंत श्रश्वस्थामाए तेमने निवृत्त करुया. पी पोताना गुरुनी कुटीनी संज्ञाश्री ग्राझा करायेला अर्जुने नज्जा थइ पोतानी भुजाना तामनना शब्दश्री सर्वे राजानना मनने बहु कोन पमामचं. अर्जुने बोमेलां वाराना समूहानां पाना वायुश्री कंपता पर्वतोए करीने नाश पामी गया के ग्रह ने तारान जेमां तथा त्रास पाम्या वे सूर्यना रथना चंचल अश्वो जेमां एवं आकाश यर गयुं. अर्जुननी श्राश्वर्यकारी कला ने राधावेधने जोइ ते वखते कया कया भूपतिये नृत्पन्न श्रयेला दर्पथी मस्तक नथी घुणान्युं ? अर्थतू सर्वे राजानु दर्प पामीने पोतपोतानुं मस्तक धुणाववा लाग्या. पठी दुर्योधने थाज्ञा करेला कर्णे पोताना सिंहासन उपरथी कोपवमे नीचे उतरीने खजाने ग्रास्फोटन करता नन्नत मेघनी पेठे महा गर्जना करी. तेनुं तेनुं धनुर्धारिणुं श्रने सुजावल जो संतोष पामेला दुयोंधने कर्णने स्वर्गपुरी समान चंपापुरी इनाम तरीके थापी या वखते सूतसारथी त्यां श्राव्यो. कर्णे ते यावेला पो ताना पिताने प्रणाम करीने वह मानपूर्वक सर्वे राजाननी बागल बेसाखो. पर्व महार एवा जीम सहित कोप पामेला श्रर्जुने दुर्योधन ने कहां के, श्रो ! तें नीच कुलमां उत्पन्न श्रयेला कर्णने चंपापुरी या माटे यापी दीधी ? कुलाचाररहित ! हुं त्याग यावा अन्यायने मदन नहि करूं. " श्रा प्रमा कीने पते वने जग्गा पोतपोताना धनुष्यनो टंकार करीने तत्काल युद्ध " *
SR No.010762
Book TitleAdinath Charitra
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages489
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Story, Mythology, & Literature
File Size32 MB
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