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________________ __ दमदंत महामुनिनी कथा. (३५) पण कील्लाने सऊ करी अने दरवाजा बंध करी शीयालनी पेठे रहा. पी दमदंत राजाए दूतनां मुखश्री पांडवोने कहेवराव्यु के, “अरे जमो ! तमे शंशलानी पेठे किल्लामा पेसीने केम रह्या गे? बीलामानी पेठे तमे म्हारा निर्धणीया देशने तथा राजधानीने लुटी शुं पौरषार्थपणुं मेलव्यु ? जो तमारूं कुल क्षत्रिय, होय, तमे क्षत्रिय हो, तमारा पूर्वजो पण क्षत्रिय होय तेमजतमारी माता वीरपुत्रने जन्म आपनारी होय तो हवणां तमे मारी साथे युकरो.अरे बीकणो ! जो तमे युध्ने माटे नहि आवो तो हवे पठी जीवता उतां पण मूवानी पेठे आ नगरमांज बहुकाल पर्यंत रहो.” राजतेजश्री प्रगब्न एवा दूते तुरत सन्नामां आवीने ते सर्व पांमवोनी आगल का; परंतु कत्रिय कुलमां नत्पन्न श्रयेला बलवंत अने कौरवो सहित एवा पांमवो वाणीने नियममा राखनारा मुनिनी पेठे मौनज रहा. वली दमदंत नूपतिना पौरुषार्थने सहन करवा असमर्थ एवा पांडवो ते वखते दूतने उत्तर आपवाने पण समर्थ श्रया नहि. दूत पागे आव्यो एटले बलवंत एवा दमदंत नूपतिये तुरत सर्व स्थानके पोताना विजयनो पट्टह वगमाव्यो के, “ हे नगरवासी लोको ! तमे सौ सांनलो. में आ प्रचंम एवाय पण पांमवोने जीत्या ." पी सर्व राजमंमलमां पांडवोनी लड़ाने वृद्धि पमामतो ते राजमुकुटमणिरूप दमदंत नूप- ति पोतानी राजधानी प्रत्ये गयो. त्यां ते पोतानां तेजश्री पूर्वे नाश थइ गये ली सर्व लक्ष्मी पुण्य प्रनावने लीधे पाम्यो. दीर्घकाल पर्यंत पोतानां राज्यने पालीने अवसरे नत्पन्न थयेला वैराग्यवाला ए दमदंत नूपतिये चारित्र लीधुं. कषायना उद्म रहित एवा ए राजर्षि पोतानी पूर्व कर्मनी क्रूर घाटीने जीतवा माटे बहु तप करवा लाग्या. हवे कोश् वखते परिगृह रहित अने पंच समिति तथा त्रण गुप्ति युक्त एवा ए मुनिये पृथ्वी पर विहार करता करता हस्तिनापुरना नद्यानने विषे कायोत्सर्ग कस्बो. या वखते परिवार सहित महाबलवंत एवा पांझवो कौरवोनी साथे क्रीमा करवाने नगरनी बहार गया. त्यां पुण्यश्री पवित्र आत्मावाला युधिष्टिर राजाए, शांत तथा इंडियोने जीतनाराए महामुनिने दीग. तुरतज जेमना शरीरने विषे पुलकावली नत्पन्न अश् डे एवा महाराजा युधिष्टिरे पोताना चारे बंधुन सहित हस्ति नपरग्री नीचे नतरी त्रण प्रदक्षिणा पूर्वक नमस्कार करी
SR No.010762
Book TitleAdinath Charitra
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages489
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Story, Mythology, & Literature
File Size32 MB
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