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________________ (३७६) ऋषिमंमलरत्ति-पूर्वार्ध. अति विषम पित्तज्वरादि रोगथ्री पोताना शरीरने बहु पीमा पामतुं जाणता उता ए महामुनि विहार करता करता परिवार सहित सेलकपुरना नद्यानमा आवी पहोच्या. मंमुक नूपति पोताना पितारूप सेलकसूरिने नपवनमां आवे. ला जाणीने बहु नतिथी सामंत तथा प्रधानोने साथे लश् तेमने वंदना करवा माटे गयो. त्यां ते पोताना पिता सेलकसूरिने वंदना करी धर्मदेशना सानली अने पठी तेमने रोगथी पीमा पामेला जाणी विनंती करवा लाग्यो के, "हे जगवन् ! तमे आ नगरमा एक निवास स्थानने पमिलेही तेमां आवतुं चोमासु रहो. अमे श्रेष्ठ वैद्योए बतावेल निपुर्षण औषधोथी तमारी सेवा करीशु के, जेथी तमारे स्वस्थ श्रया पठी पोतानुं चारित्र पाली शकाय.” राजाना वहु आग्रहथी सूरिये तेमनुं कहेवू मान्य करयु. पली मंमुक नूपति पोताना घरे गयो अने गुरु पण म्होटी यानशालाप्रत्ये आव्या. त्यां पांचसो श्रेष्ठ मुनियोए पमिलेहन करेला पाट पाटलावाला स्थानमा सूरिये निवास कस्यो. नूपति पण तेमनी विवेकवमे सेवा करवा लाग्यो. वली राजानी आझाथी वैद्यो पण निर्डषण औषधोवमेनक्तिथी सेलक गुरुनी सेवा करवा लाग्या. एकदा वैद्योए गुरुने कयु के, “हे नगवन् ! आवा महा रोगोने अमोए मदीरापानरूप अमृतथी दूर कस्या .” वैद्यो- आq वचन सनिली सेलक सृरिये पोतानां शास्त्रनी विस्मृतिनां मुख्य कारणरूप मदीरापानने रोगोनी' निवृत्तिनुं अवलंवन धारी गीतार्थपणाथी कबुल करयं. ए प्रमाणे केटला दिव. से विविध प्रकारनी चिकित्साथी सेलक गुरुना शरीरने विषे सर्वे विषम रोगो शांति पामी गया. निश्चे सर्वे इंघियोमा रसना इंश्यना उर्जय एवा वलीटपपाथी तेमज सर्व कर्ममां मोहनीय कर्मना तेमज प्रमादना अति गहनपणा. श्री गीतार्थपति अने संविग्नमनवाला सेलकाचार्ये निरंतर नक्तपानमां बहुआ. सक्ति धारण करी, तेश्री ए महामुनि सूत्रार्थना नगवा नगाववामां, विचार करवामां, शुक्रियादिक कार्यमां अनेपट्यावश्यकमां हमेशां शिथिल वनी गया. को वखत एक पंथक विना तपमांयासक्त थयेला चारसोनवाणुं शिष्यान तर्क भयो के, “आपणा सेलकगुरु चतुर ने उतां सरस नक्तपानमां अति प्रासक्त श्रयेला ए प्रमादश्री वीजे विहार करवानी चाकरता नथी, माटेमा न धिकार ! ! चारित्र पालवामां तत्पर अने त्यजी दीधो वे ममतानो
SR No.010762
Book TitleAdinath Charitra
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages489
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Story, Mythology, & Literature
File Size32 MB
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