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________________ (३५७) ऋषिमंमलत्ति-पूर्वाई. . विगेरे सर्वे यादवो जिनेश्वर प्रनुनी पासे आवी आदरथी देशनारुप अमृतनु. पान करवा लाग्या. आ वखते एक फक्त वासुदेव विना सर्वे दाशाहोए, रथनेमि विगेरे समुपविजय राजाना पुत्रोए, बहु एवी कृष्णनीस्त्रीयोए अने कोटि कुमारोए वैराग्यथी प्रन्नु पासे चारित्र लीधुं. संसारथी वैराग्य पामेली राजी. मतीये पण पोताना बंधुवर्गनी रजा ल अनेक स्त्रीयोनी साधे हर्षथी दीक्षा अंगीकार करी. पी रथनेमि मुनीश्वर पण वृद्धि पामती श्रावके स्थविर मुनिनी पासे सर्व क्रिया करवा लाग्या. तेमज सिखंत नगवामां आसक्त बयेली साध्वी राजीमती पण प्रवर्तिनीयोनी पासे शुक्रिया करवा लागी..... हवे को वखते रथनेमि मुनि, कांश कार्य प्रसंगे बहार जता दता एवामां रस्ते वर्षाद वरसवा लाग्यो एटले सञ्चित्त जलना नयथी ते महा मुनी. . श्वर एक गुफामां पेग. आ वखते राजीमती पण केटलीक साध्वीयो सहित श्री नेमिनाथ प्रन्नुने वांदवा माटे आवती हती. पोताना शरीर नपर वर्षादना गंटा पमवा लाग्याथी सर्वे साध्वीयो अपकाय जीवोनुं रक्षण करवा माटे जूदी जूदी गुफा मां जश् रही. राजीमती पण बहु अंधाराने लीधे गुफानी अंदर रहेला रथनेमिने नहि जागती उती दैवयोगथी तेज महा गुफा प्रत्ये गइ. गुफा अंदर बहु विस्तारवाली होवाथी तेमां पोतानां नीनां श्रयेलां वस्त्रोने सूकवती तथा सुवर्ण समान नज्वल देहकांतिने विस्तारती राजीमतीने जोर गुफानी अंदर रहेला, शरीरनी अंदर स्फुरी रहेला पूर्वना रागवाला अने कामवाणथी पीमा पामेला रणनेमि बहु निर्लज बनी गया. अनुक्रमे त्यां गुफामां प्रकाश थयो एटले राजीमतीये चारित्रने नाश करवामां नत्साहवंतश्रयला ते श्रेष्ठ मुनिने दीग एटले लङाथी नम्र मुखवाली ते महासती झट वस्त्रो पहेरी तथा सर्व अंगने संवरी बहार वरसाद वर्षतो होवाथी त्यां गुफा मांज नन्नी रही. पठी वृहिपामती कलाक्रिमाथी व्याकुल थयेला रथनेमिमुनि, पोतानी चतुराश्नेनस्मीनूत करता उता राजीमतीने या प्रमाणे कहेवालाग्या. “सौन्नाग्यना साररुप, सफल अवतारवाली अने श्रेष्ठ मुखवाली हे रा... जीमती ! त्दारे विषे प्रेम धारण करनारो ते हुँ रथनेमि . हे नई ! मने जज, पूर्वनी पेठे म्हारी याचनाने वृथा न कर. संतुष्ट मनवाला आपणे बन -- . जणा प्रयम मदा नोगटी प्रा युवावस्थाने कृतार्थ करीए अने पठी वृक्षवः
SR No.010762
Book TitleAdinath Charitra
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages489
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Story, Mythology, & Literature
File Size32 MB
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