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________________ श्री रथने मिनी कथा. (३५५) सेन नूपतिये त्यां आवीने मधुर वाणीथी कां के, “हे पुत्री ! तुं नेमिनाथनी दीदाथी शामाटे खेद करे ले ? हुं यादवोना बीजा राजानी साथे महोत्सवपूर्वक त्हारो पाणिग्रहण करावीश.” राजीमतीये कह्यु. “हे तात! हवे फरीथी तमे मने एवं कहेशो नहि. म्होटो अथवा न्हानो नूपति श्री नेमिनाथ समान क्याथी होय ? हे पिता ! जे त्रलोकना पति ने अने जेमने देव, दानव तथा मनुष्यो पूजे ने तेमनी तुल्यता बीजो म्होटो पण कयो नूपति पामी शके तेम ? जो के हवणां नेमिनाथेपोतानो जमणो हाथ मने आप्यो नथी, तो पण ते हुं ज्यारे व्रत अंगीकार करीश त्यारे खरेखर तेज पोतानो हाथ मने आपशे. सती राजीमतीनां आवां व्रतने योग्य वचन सांजली नग्रसेन राजा पोताना चित्तमां बहु हर्ष पाम्यो. पनी संसारना नोगथी विरक्त श्रयेली, खेदने नहि करती अने प्रन्नुना नामनो जप करती ते शुशीलवाली राजीमती पोताना घरने विषे रहेवा लागी. हवे नेमिनाथनो न्हानो नाइ रणनेमि के, जे युवराज हतो ते राजीमती सुपर स्पृष्ट बहु राग धरतो हतो, तेथी ते निरंतर वस्त्र, आभूषण अने पुष्पादि मनोहर नेट तेने मोकलतो हतो. राजीमती पण दियरबुझ्थिी रयनेमिये मोकलेली वस्तुने हर्षथी स्वीकारती हती. आयी तो ए रथनेमिकुमार राजीमती नपर वृथा बहु राग धरवा लाग्यो. एक दिवस नेमिनाथनो नाश रथनेमि राजीमतीने घेर गयो; त्यां ते हाश्य वचन बोलवा लाग्यो; परंतुतेरो राजीमतीनी कांश रुचि जाणी नहि. वली ते फरीथी पण हर्षथी राजीमतीना घरे आव्यो. आ वखते तेना विना बीजुं को घरमां न होवाथी ते, राजीमतीने कहेवा लाग्यो. “हे सुंदरी ! त्हारा अति सौनाग्यपणाना गुणथी वश्य श्रयेलो हुँ खरेखर त्हारा नपर बहु प्रीतिवालो थयो बु; माटे साक्षात्कपवेल समान तुं शीघ्र प्रसन्न श्रश्ने पाणिग्रहण कार्यथी म्हारी आशा पूर्ण कर. भावी समृद्धि, नविन यौवन, इष्टरूप अने सर्व गुणवाली तथा प्रेमवाली त्हारा समान प्रिया ए सर्व त्यजी देनारो म्हारो बंधु निश्चे अवलि बुध्विालो श्रयेलो देखाय जे. कारण बहु पुण्योथी नोगादि मले . हे राजपुत्री! हुं ते श्री नेथिनायनो बंधु अने गुणना समुप बुं, माटे प्रेमनां पात्ररुप म्हारे विषे त्दालं मन ऊट स्थापन कर." रयनेमिनी आवी वाणी सांजलीने सती रा. वस्तुने हर्षलताहतो. राहा राजीमती
SR No.010762
Book TitleAdinath Charitra
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages489
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Story, Mythology, & Literature
File Size32 MB
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