SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 298
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (५४) ऋषिमंमलत्ति-पूर्वाई. माटे चक्र गदा विगेरे शस्त्रयुक्त हाथवालु, गतिमां लक्ष्मीना चिन्हवालु, गरुः । मनपर विराजीत श्रयेवं, पीला वस्त्रवालुं म्हारं स्वरुप तेमज वैमान नपर बेठेखें, श्याम वस्त्रवालु, हल मुशल विगेरे शस्त्रथी सुशोनित हाथवालुं त्हारुस्वरुप पण आकाशमां राखी आ सर्व नरतक्षेत्रने विषे देखाम के, जेथी करीने सअनोने विषे आपणो अपवाद नाश पामे. वली लोकने विषे एवो पण नद्घोष करवो के, “देवरुपने धारण करनारा, निरंतर स्थितिवाला, नित्य सुखवाला अने पोतानी श्या प्रमाणे विहार करनारा श्री रामकृष्ण निरंतर जयवंता वर्ने ठे.” आ सर्व वात अंगीकार करी बलन देवे तुरत दक्षिण जरतक्षेत्रमा श्रावीने कृष्णना कहेवा प्रमाणे वैमानमां वेठेला बन्ने स्वरुपो आकाशमां राखी . सर्व लोकने देखामया. वली दिव्य देहकांतिवाला तेणे स्पष्ट एवो उद्घोष क.. यो के, “हे प्राणीयो ! तमे सौ सान्नलो. आ विश्वनी नत्पति अने संहार करनारा अमे वीए. अमे सुखने माटे आ चारका नगरीने क्षणमात्रमा नत्पन्न करी हती, पण हवे अमारी वीजे स्थानके जवानी चाथी अमे ते हारका नगरीनु हरण करयुं ." वलन्न देवनी प्रावी वाणी सांजली दर्ष पामेला सर्वे मारणसो आ लोक संबंधी अनेक प्रकारना सुखनी चाथी ठेकाणे ठेकाणे म्होटा देवालयोने विषे एवाज स्वरुपवाली रामकृष्णनी मूर्त्तिनुं स्थापन करी तेमना नक्त प्रया. आ प्रमाणे नद्यानोने विपे अने गृहोने विषे रामकृष्णनी महा मूल्यवाली अनेक मूर्तियोर्नु महोत्सवपूर्वक स्थापन करीने आ लोक संबंधी अनेक नोग संगना अनिलाषी एवा अर्धा नरतखंझना मनुष्यो तेमनुं पूजन करवा लाग्या. वलन्न देव पण ते मूर्तियोर्नु पूजन करनारने हर्षपूर्वक सर्व प्रकारनी संपत्ति आपवा लाग्यो. अहो ! शुभ सम्यक्त्वधारी एवा वलन देवताए केवल बंधुना प्रेमश्री मिथ्यात्वपणुं विस्तारयुं. अनुक्रमे ते देव स्वर्गलोकना सुखोने नोगवी आयुष्य पूर्ण श्रये त्यांश्री चवी आवती अवसर्पिणीमां सारा विशाल कुलमा अवतरशे. पठी कृप्यनो जीव के, जे श्रीमम नामना तीकर अवाना ठे तेमना वारामां ए वतन्ननो जीव महोदयवाली दीक्षा ला अनुक्रमे अंते अनंत सुख पामो. हे मोक्षार्थी नव्यजनो! तमे सर्व प्रकारना पापने नाश करनारा, काम, क्रोध, मद विगरेनो नच्छेद करनारा अने गयनी वृहित करनाग या बलदेव मुनिना चरित्रने मानलीने वैराग्यश्री नत्कृ
SR No.010762
Book TitleAdinath Charitra
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages489
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Story, Mythology, & Literature
File Size32 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy