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________________ श्री बलन बलदेव चरित्र. (२७७) जिनेश्वर समवसस्या. पापनो नाश करनारा प्रनुना आगमनने जाणी अत्यंत हर्षित श्रयेला कृष्ण परिवार सहित त्यां जश् प्रन्नुने नमस्कार करी योग्य आसने बेग एटले प्रन्नुए विशेषयी धर्मनुं रहस्य अने वैनव यौवनादि संसारिकपणानुं नश्वरपणुं ए विगेरे धर्म देशना आपी. धर्मोपदेश श्रवण कस्या पजी कृष्णे श्री जिनेश्वरने पूज्यु. “ हे प्रनो ! स्वर्ग समान आ म्हारी द्वारका नगरी अचल रहेशे के नाश पामशे ? अने म्हारं मरण कोनाथी यशे ?" त्रीकालज्ञानी एवा जगशुरु प्रन्नुए का. “हे नत्तम ! सांजल. मदिराना मदश्री प्रांधला श्रयेला त्हारा पुत्रोए क्रोध पभामेला दैपायन ऋषियी आधारकानो नाश थशे. वली त्हारा म्होटाना एवा जरा कुमारथी थोमा वखतमां हारु मृत्यु पण थशे. हे मुकुंद ! विकट स्वरुपवाली अने अंते महा पुःखका. रीश्रा नवनी स्थितिज एवी ." प्रन्नु पासथी आवा नविश्यमा थनारा नुपवने जाणी कृष्ण धारकामां आवीने केटलाक दिवस गया पठी ते उपवने नाश करवा माटे नगरीमा पट्टह वगमाव्यो के, "हे कुमारो अने बीजा लोको! तमे सौ साललो. तमने महाराजा कृष्ण एम आज्ञा करे ले के, तमारे मदिरानी श्छा त्यजी देवी. कारण के, मदिराना पानथी श्री नेमिनाथ जिनेश्वरे कहेलो म्होटो अनर्थ नत्पन्न थशे." श्री कृष्णनी आवी आझाथी सर्वे कुमारोए पोते पोतानां मदिरानां पात्रो द्वारका नगरीनी ब्दार श्री रैवताचल पर्वतनी गुफामां नांख्या. योग्यज ने राजानी आज्ञा कोश्थी नखंघी सकाती नथी. पठी जराकुमार “आ यादववंश रूप समुझे नल्लास पमामवामां चंड समान श्री कृष्ण, मृत्यु म्हाराथी न थान.” एम कहीने. हारका नगरी त्यजी दश तुरत को एक पल्लीमां जश्ने रह्यो, बलदेवना न्हाना ना लिहार्थे पण व्रत लेवानी श्वाथी पोताना म्होटा बंधु पासे आज्ञा मागी. कडुंडे के-विधान पुरुषो धर्मकार्य करवामां विलंब करता नथी. पठी बलदेवे सिक्षार्थने कह्यु. “ जो तुं देवता यई मने बोध पमामे तो हुँ तने दीक्षा लेवानी रजा आपुं.” सिक्षार्थ ए वात कबुल करी अने पगी ते श्री नेमिनाथ पासे चारित्र स मास पर्यंत चारित्रने श्रेष्ट रीते पाली स्वर्गे गयो. कयु के-श्रेष्ट पुरुषो पोताना हितकारी अर्थने योमा दिवसमा साधी ले ये.' . . . हवेज्यां रेवताचलनी गुफामां कुमारोए मद्यनां पात्रो नाख्यां दता, त्यां
SR No.010762
Book TitleAdinath Charitra
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages489
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Story, Mythology, & Literature
File Size32 MB
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