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________________ श्री आदिनाथचरित्र. (१) या एटले सेवकोए हर्षथी प्रन्नुर्नु आगमन बाहुबलिने निवेदन करयु. बाहुबलिए पण तेनने प्रीतिदान आपीने कयुं के, “ हुँ प्रनाते नत्सव सहित प्रनुर्नु दर्शन करीश." परंतु प्रनाते प्रतिबंधथी रहित एवा प्रन्नु तो बीजे स्थानके विहार करी गया. कारण के, अरिहंतोने प्रेमनुं बंधन होतुं नथी. हवे अन्नाते प्रन्नुने नहिं देखवाथी शोक करता एवा बाहुबलिए नगवानना कायोत्सर्ग स्थाने सूर्यमंझल समान देदिप्यमान पांच योजन प्रमाण -चुं, ध्वजाथी सु.. शोनित दमवालुं अने योजन प्रमाण विस्तारवालुं प्रनुनी बे पाउकायुक्त रत्न समान स्तूप कराव्यु. पठी उद्मस्थावस्थामा रहेला नगवान जोगगाढ, बइलाख्य अने बहली विगेरे देशोमां विहार करता करतां पुरिमताल नगरना शकटोद्यानमां आव्या.त्यांअध्मनो तप करीने वमनी नीचे बेठेलाप्रन्नुने फागण मासनी अंधारी अगीयारसने दिवसे उत्तराषाढा नक्षत्रमांसवारे केवलज्ञान प्राप्त थयु. तेज वखते जरत राजानी आयुधशालामां पण चक्ररत्न नुत्पन्न - यु. पी प्रन्नुने केवलज्ञाननी नत्पचिनी तथा आयुधशालामां चक्ररत्ननी नत्पत्तिनी वधामणी आपनारा बन्ने सेवकोए एक कालेज नरत राजाने वधामणी आपी. पनी “ आ बनेना मध्ये प्रथम पूजा कोनी करूं ? " एम कण मात्र विचार करीने नत्पन्न थयो विवेक जेने एवो नरत राजा विचार क-' रवा लाग्यो. “ पितार्नु पूजन करे ते चकरत्ननुं पण निश्चय पूजन करेलु गणाय. कारण चक्ररत्न आ लोकमां सुख आपनारुं अने प्रत्तु तो परलोकने विषे पण सुख आपनार बे; माटे पिताज प्रथम पूजन करवा योग्य ,पण चक नथी.”एवो विचार करीने तेणे पोतानी पितामह (बापनीमा)मरुदेवा माताने कडं. “ हे माता ! फट चालो, हुं आपने त्रण लोकना पति रूप आपना पुपनी समृद्धि बतावं." नरतनां आवां वचन सांजली मरुदेवा माताये हर्षपामीनरतने कयुं. “तुं मने म्हारा पुत्र ऋषजनुं दर्शन कराव्य." माताये आ प्रमाणे कडं एटले नरत राजा तेमने हाथी नपर बेसारीने जिनेश्वर प्रनुने वंदना करवा चाल्यो. पडी देवतानना वैमानना समूहथी चारे तरफ व्याप्त थ रहेला आकाशने जोइने नरत राजाए मरुदेवा माताने कडं. “ हें अंब! त्रण जगत्ने आश्चर्यकारी आपना पुत्रनी आ समृहि जून के, जेमना आगल आ म्हारी सर्व समृदिअल्पमात्र देखाय ." आ प्रकारनी पुत्रनी सं
SR No.010762
Book TitleAdinath Charitra
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages489
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Story, Mythology, & Literature
File Size32 MB
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