SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 248
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (२४५) ऋषिमंमलत्ति-पूर्वाई. आव्या बीए पण राज्यने अर्थे आव्या नयी.” लरते फरीथी कां. "देई. श! में आपनी आज्ञाथीज आ राज्यनुं चीरकाल पर्यंत पालन करयुं गे, पण हवे तो हे नाइ ! नुज्वल एवां पुण्यने खीलारूप आ राज्य लीलाथी म्हारे शरयु; राम लक्ष्मणे बहु प्रेमथी विनीतापुरीना साम्राज्य पदने धारण करवानो आग्रह कस्खो तो पण नूपतियोने विषे चूमामणिरूप नरते तुरत अनेक नूपालोनी साथे विधिपूर्वक चारित्रने अंगीकार करी तपथी समग्र एवा आटे कर्मोनो कय करी अनंत सुखने आपनारा मोक्षपदने स्वीकारयुं. पली हर्षित एवा वित्नीषण विगेरे सर्व राजानए रामने कडं के, "हे प्रनो !जो आप आशा आपो तो अमे म्होटा नत्सवपूर्वक आपने राज्याभिषेक करी. ए.” रामे कडं. “हे नूमिपालो ! तमे सारा दिवसने विषे अनेक एका म्होटा नत्सवोथी रावणने जीतनारा लक्ष्मणने वासुदेव पदनो अनिषेक करो." रा. मनी प्रावी आझायी राक्षस, विद्याधर अने नूमिपालोए हर्षवमे पाजींत्रोन नाद पूर्वक म्होटा नत्सवथी प्रतिवासुदेव एवा रावणने मारनार लक्ष्मणने वा सुदेव पदनो अनिषेक कस्यो अने रामने बलदेव पदनो अनिषेक कस्यो त्यार पठी तेनए रामलक्ष्मणनी आगल मुक्ताफलादि अनेकवस्तुमनेट तरी के मूकी. आ वखते रामे विन्नीषणने लंकापुरीना हीपर्नु अधिपतिपणु आप्ट अने कपीश्वर एवा सुग्रीवने कपिछीपर्नु समस्त राज्य सोप्यु. वली नदार चि त्तवाला रामे आश्रितो नपर प्रेमने लीधे नामंगल विगेरे बहु नूपतियोने जूद जूदा इष्टदेशो आप्या. पी नग्रतेजवाला शत्रुघ्न वीरे पोताना र बलर्थ युहमां मधुदेशना राजाने जीती मथुरा नगरीना साम्राज्यपदने ग्रहण करयु श्राम शोल हजार नूपतियोए सेवन कस्यां चरण कमल जेमना एवा राग लक्ष्मणे निष्कंटक एवं पूर्ण अर्धा नरतखमनुं राज्य दीर्घकाल पर्यंत करयं सभित्राना पुत्र लक्ष्मराने शोल हजार स्त्रीयो श्रइ. तेमां विशल्या विगेरे आ पटराणीयो हती.अनुक्रमे तेनने लक्ष्मण समान आकृतीवाला, शत्रुन्थी - जय अने साम्राज्यलक्ष्मीने वरवामां नचित अंगवाला श्रीधर विगेरे वसोने पचास पुत्रो थया. श्रीरामने पण नत्तम रूपवाली आठ हजार स्त्रीयो हती; तेमां उत्तम रुपवाली सीता विगेरे चार पटराणीयो इती. कोड वग्वते सीताये रात्रीने विषे स्वप्नामां वैमानयी चवेला बे देव.
SR No.010762
Book TitleAdinath Charitra
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages489
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Story, Mythology, & Literature
File Size32 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy