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________________ (३५) ऋषिमंमलत्ति-पूर्वाई. शक्तिनां आवां वचन सांजली दयावंत एवा हनमाने तेने त्यजी दीधी; तेथी शक्ति पोताने इष्ट स्थाने चाली गइ अने लक्ष्मणने चैतन्य आव्यु. पी विशल्याये पोताना हाथथी लक्ष्मणनां सर्व अंगने विषे गोशीर्ष चंदननो विले. प कस्यो; जेथी तेमनुं सर्व शरीर तदन घा विनानुं थइ गयु. पी पूर्वन्नवना पुण्यश्री पुष्ट एवा लक्ष्मण तत्काल नेत्रने नघामी राम अने नामंमल विगेरे मुख्य अधिपतिना हर्ष सहित नन्ना थया. ते वखते पोताना नेत्रमाथी हर्षनां आंसुना समूहने वर्षावता एवा अने हर्षथी पूर्ण अंतरात्मावाला राम पोताना बन्ने हाथथी ऊट लक्ष्मणने नेटी पझ्या. सुन्नटो पण नोबत विगेरेना शब्दपू. र्वक “हे प्रत्नो! आप जयवंता वर्तो!!” एम आशीष आपवा लाग्या. वली रामनी आझाथी सुग्रीव विगेरे बहु राजानए एकग श्र दिव्य एवी हजारो कन्यान सहित विशल्यानुं लग्न लक्ष्मणनी साथे करयु. ___ हवे आकाशने विषे ठेकाणे ठेकाणे रहेली राक्षसोनी परंपराश्री लक्ष्मणने जीवता श्रयेला जागी खेदातुर श्रयेलो रावण विचार करतो तो पोतानामंत्रीने कहेवा लाग्यो. "अरेरे ! में एम जाण्यु हतुं के, शक्तिना प्रहारथी लक्ष्मण तत्काल मृत्यु पामशे अने तेना वियोगथी दुःख पामेला रामनी पण एज अवस्था अशे. त्यारवाद म्हारं सारं थशे. वली सुग्रीव विगेरे पायदल नासी जशे, तेथी कुंनकर्ण अने इंडजित विगेरे म्हारा सुन्नटो बंधनथी मुक्त थ पोतानी मेले पाग आवशे. हे सचिव ! लक्ष्मण कया नपायथी जीव्या ? अने हवे रामर्नु सेन्य देदिप्यमान अयुं तो म्हारा नाइ, पुत्र विगेरेना बंधनो शी रीते टशे?" आम वारंवार पूठता एवा रावणने तेना मंत्रीयोए स्पृष्ट कडं के, "सीता पाठी सोपी रामने प्रसन्न करो के, जेथी तमारा बंधु पुत्रादि मुक्त थाय." मंत्रीयोना कहेवा नपरथी क्रोधातुर श्रयेला रावणे कोई एक चतुर गुप्त पुरुपने वोलावीतेने संदेशो कही तत्काल रामनी पासे मोकल्यो, दूत पण तकाल रामनी पासे श्रावी कहेवा लाग्यो के, “हे राघव ! तमे म्हारूं कपटरहित वचन सोनलो.रावण आपने कदेवरावेठे के, तमे म्हारा ना अने पुत्रोनेटोमी मृको तया आपनी प्रिया जानकी मने अर्पण करो के, जेथी हुं तमने म्हारुंअर्ध गज्य तथा सीताश्री अधिक रूपवंती एवीत्रण हजार कन्या आपुं.” पर्व गमे कहा." म्हारे गवणनां राज्य- कांड प्रयोजन नश्री तेमज सीता विन
SR No.010762
Book TitleAdinath Charitra
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages489
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Story, Mythology, & Literature
File Size32 MB
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