SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 196
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (१५५) ऋषिममलरत्ति-पूर्वार्ध. के, "हे बंधु ! तमे सीता सहित अहिंज रहो. हुं ए सर्व शत्रुनने जीतीश.”. कडं. “हे सहोदर ! तमारो विजय थान अने शत्रुना समूहने विषे सिंहनादकरो." पठी उईर एवा लक्ष्मणे पोताना धनुष्य बाण धारण करी तुरत सामा जश्ने शत्रुना सैन्यने रोकी दीधुं. चंइनखा पण पतिनी सहाय माटे आ सर्व वात लंकामां पोताना ना रावणने जणावीने कहेवा लागी के, "हे बंधु ? राम अने लक्ष्मण सीता सहित दंमकारण्यने विषे प्रावी, पोताना घरनी पेनिश्चितपणे रहेला. तेमां लक्ष्मणे तमारा नाणेज शंबूकने सूर्यदास खानुं साधन करतां मास्यो . आ वात सांजलीने तमारा बनेवी पोताना न्हाना पुत्र सहित म्होटी सेनाने साथे लइ महा बलवंतपणाने सीधे लक्ष्मणनी साथे यु करवा गया . वली दे ना ! बीजुं पण ए के, जे रूप जानकीन ले तेवू रूप वीजी को विद्याधरी के देवांगनानुं पण नथी. हे बधु ! त्दारी देदीप्यमान एवी विद्या अने दिव्य शस्त्रो विगेरेनो संग्रह त्यारेज सफल अवानो ठे के, ज्यारे तुं राम पासेथी सीताने ग्रहण करीश. बेवट एटलुंज कहुं हुं के, अनिरतक्षेत्रने विषेश्रतुल आकृतिवालुं स्त्री रत्न तो त्हारेज नोगववा योग्य वे. वीजा कोइने जरा पण नथी.” व्हेननां आवां वचन सांजली दशमुखवालो रावण सीता नपर अनुराग अने राम लक्ष्मण नपर क्रोध धारण करतो तो एकी वखते दीवानी पेठे प्रकाश अने श्यामपणुं बन्ने पाम्यो. पठी रावण पुष्पक नामना वैमानमा वेसीने वोटयो के, "हे विमानें! ज्यां राम त्यां जा." पठी वैमान आकाश मार्गथी समुनु नखंघन करी ज्यां दंगकारण्यने विपे राम हता त्यां कणमात्रमा प्राव्यु. त्यां रावण सीता सहित रामने जोइ अत्यंत कंपवा लाग्यो. कडं ले के-पापी पुरुषोने सामर्थ्य उतां पण सर्व स्थानके नयज थाय रे. पठी रावणे रामथी बहु दूर रही अतुस शक्ति प्रापनारी अवलोकिनी विद्यानुं स्मरण करयु. स्मरण करवा मात्रमांज नत्पन्न ययेली विद्याये रावराने कां के, “दे राक्षसनपति ! म्हारा योग्य जे कार्य होय ते कदे." रावणे कडं. “ हवणां सीताना हरणने विषे म्हा सानिध्य कर के, जेबी हुं महा बलवंत श्रावं." विद्याये कां.” देन- . पाल ! मानल. रामनी पासे रदेली जानकीनुंदरण करवा कोइ देव के दानव ममत्र नत्री. परंतु जो गम, मीनाने मूकी बीजे जाय तोतुं तेणीनुं तत्काल हरण
SR No.010762
Book TitleAdinath Charitra
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages489
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Story, Mythology, & Literature
File Size32 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy