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________________ (१६६) ऋषिमंमलटत्ति-पूर्वाई. (१६७ ) आगलज रामने पोतानो पति श्चती ती उन्नी रही. जनकना न्हाना सीतार्नु स्वरूप जोश कमलीनीने विषे अमरनी पेठे अत्यंन्न श्रयेली नश यो. आ वखते जनक नूपतिनी आझायी हारपाले पोतानो पुत्रना विवाह तत्काल कयुं के, “हे नूपालो अने विद्याधरो! म्हारं वचन बनी स्त्रीयो मारा मध्येथी जे को पुरुष आ बन्ने धनुष्यमांथी एकनी नपगने पामीआरोपण करशे. तेज आ सीता नामनी कन्यानो पाणीगृहण कर रपालनां आवां वचन सांजली सर्व विद्याधरो अने राजकुमारो धन्झावः॥ वानी श्चाथी तेनी पासे गया; परंतु त्यां तो नंची,करेली फणावादारथ राना दृष्टिरूप विषना नारथी व्याप्त थयेला तथा यमनी जिह्वाना सम म्नात्र अग्नि ज्वालारूप ते बन्ने धनुष्योने जोश जयश्री खेदयुक्त श्रयेला ते तत्काल पागावी पोतपोताने आसने वेग. पी नुजा बलथी शत्रुना वर्गने तिर,स्कार करनारा अने सिंहना समान पराक्रमवाला श्री राम पोताना आसनश्री नठी धनुष्य पासे आव्या. ते वखते वीजा सनाजनोए“जेम पूर्वे आवेला राजकुमारोए धनुष्य चमाव्युं तेम आ पण चमावशे" एम कही रामने हसी काढ्या; । परंतु श्री रामे तो चंगत्यादि विद्याधर पतियोए रोष सहित जोता उतां नाश पामेलासर्पना समूहरूप अने शांत अयेली ज्वालावाला अग्निरूप तेवजावर्त नामना धनुष्यने लीला मात्रमा कमलना नालनी पेठे नपाकी ते नपर बाण ते वखते "श्वाक कुटुम्हरूपाकने प्रकाशं करवामां सूर्य समान, को · वीर पुरुवामी होरा समान ! महा बलवंत हे राम! राजा आ तो. 'आम अनेक विद्याधरो, देव अने दानवो श्री रामनी स्तुति करवा लाग्या एटले सीताये पोताना हायमा रहेली वरमाला श्री रामना कंठने विषे हर्ष सहित आरोपण करी. पठी रामनी आज्ञाश्री लक्ष्मणे पण सर्व राजलोक जोता उतां तत्काल अर्णवावर्त्त नामना धनुष्यने चमाव्यु. लक्ष्मणर्नु आवं अनुत पराक्रम जो प्रसन्न श्रयेला विद्याधरोए पोतानी अढार कन्या सदमएपने आपी. पी खेदयुक्त मनवालो चंगति विद्याधर पोताना नामंमल पुत्र सहित वैमानमां बेसी परिवारे परवस्यो को पोताना नगर प्रत्ये आव्यो, जनक राजाए पण पोतानी पुत्री सीताना विवाह महोत्सव निमित्ने दशरथ नूपतिने पोताना नगर प्रत्ये बोलाव्या. दशरथ राजा त्यां प्राव्या एटले ज
SR No.010762
Book TitleAdinath Charitra
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages489
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Story, Mythology, & Literature
File Size32 MB
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