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________________ (१५०) ऋषिमंमलत्ति-पूर्वाई. मनो बलदेव पुत्र इतो. रुइ राजाने बीजी लोकमां विख्यात एवी पृथिवी ना-. मे स्त्री इती तेने स्वयंन्नू नामनो प्रसिह वासुदेव पुत्र इतो. पडी पिताए रा. ज्यासने स्थापन करेला स्वयंनूए युःक्ष्मां मेरक नामना प्रतिवासुदेवने नई बंधु सहित मारी पोते कंठ सुधी कोटिसीला नपामी. ते नपरथी सोल हजार रा. जानए तेने बंधू सहित अईचक्रवर्तीनो अनिषेक कस्यो. पठी साठ धनुष्यना शरीरवालो ते स्वयंनू वासुदेव साठ लाख वर्ष पर्यंत आयुष्य नोगवी अंते मृत्यु पामीने अशुन्न कर्मथी ठही नरके गयो.नइ बलदेवे सर्व सावद्यनो त्याग करी श्रेष्ठ संवर युक्त अश् चारित्र लीधुं. देवटे साठ धनुष्यना शरीरवाला है नमुनि पांसठ लाख वर्ष पर्यंत आयुष्य पूर्ण करी मोक्षपद पाम्या.. ॥ इति श्री नर बलदेव चरित्रम् ॥ ॥ अथ श्री सुप्रन बलदेव चरित्रम् ॥ पृथ्वी नपर प्रसिह एवी हारका नगरीने विषे चंद समान मनोहर मुखवालो श्रीमान् सोम नामनो राजा राज्य करतो हतो. तेने सुदर्शना नामनी पट्टराणीथी नत्पन्न श्रयेलो मनुष्योमा नत्तम एवो सुप्रन्न नामे बलदेव पुत्र हतो एने वीजी शीलवतश्री शीतल एवी वहाली सीता नामनी स्त्रीथी नत्पन्न थ. येलो पुरुषोतम नामनो वासुदेव पुत्र हतो. पचास धनुष्यना प्रमाण देहवाला अने श्वेत तथा कृष्ण एवी शरीरनी कांतिवाला ते बन्ने बंधुन पिताश्री राज पामीने शोलता इता. अनुक्रमे सुप्रन्न बंधुनी सहायताने लीधे पुरुषोतम वासुदेवे पोताना पुरुषार्थश्री प्रतिवासुदेव एवा मधुकैटन्नने मारयो अने बन्ने । नुजायी गती सुधी कोटि शीला नपामी. ते नपरथी सोल हजार राजानए तेने अर्डचक्रवर्तीनो अनिषेक करचो. नत्तम वैनववालं साम्राज्यपद नोगवीने पठी ते पुरुषोतम पोतानुं त्रीस लाख वर्षनुं आयुष्य पूर्ण करी उही नरकने विषे नारकी श्रयो अने सुप्रन वैराग्यनी नत्कृष्टताश्री चारित्र लइ पोतानुं पं चावन लाख वर्यतुं श्रायुप्य पूर्ण करी मोक्षपद पाम्या. ॥ इति श्री सुप्रन्न बलदेव चरित्रम् ॥ .
SR No.010762
Book TitleAdinath Charitra
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages489
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Story, Mythology, & Literature
File Size32 MB
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