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________________ श्री महाबल चरित्रः (१४५) मघोष सूरीश्वर पासे संयम गृहण करवानी श्छा करुं बु.” पूर्वे क्यारे पण नदि सांजलेला पुत्रनां आवां अनिष्ट वचनने सांजली तत्काल करतां नेवाली, परसेवाश्री निंजा गयेली, गाढ शोकरूप अग्निथी तपी गयेली, पोताना पुत्रना वियोगयी पीमा पामेली अने अस्वस्थ थ गयेला वस्त्रवाली प्रनावती देवी मूर्ग पामी. पनी दासीयोए करेला नाना प्रकारना शीतवातादि नपचारोथी चेतनाने पामेली ते विविध प्रकारना विलाप करती करती महाबलकुमारने कदेवा लागी के, “हे वत्स ! तुं अमोने घणो वहालो पुत्र बे, अमे हारा वियोगने श्चता ननी, माटे हवे फरीथी आq न बोलीश. वली अमेज्यां सुधी जीविये त्यां सुधी तुं पोताना घरने विषेज रहे अने अमारा मृत्यु पाम्या पठी तुं व्रत अंगीकार करजे." पठी महाबल पोतानी माता 'प्रत्ये कहेवा लाग्यो के, “हे अंब! आपे कडं ते सत्य बे; परंतु इंजाल समान, विविध प्रकारनां दुःख आपनारा, वली जन्म, मृत्यु, जरा, रोग, शोक अने नय विगेरेथी व्याप्त एवा, तेमज अशाश्वत, अध्रुव तथा नाशवंत स्वन्नाववाला आ मनुष्य नवने विषे कोइ माणस एम नयी जाणतो के, हुं प्रथम मृत्यु पामीश के, परी मृत्यु पामीश; माटे हे मात ! हुँतो प्रवृज्याज अंगीकार करीश, माटे मने आज्ञा आपो." माताए कह्यु. " हे वत्स ! त्हारं स्वरुप सुवर्ण समान कांतिवालुं अने यौवन विश्वने विस्मय पमामनालं. तो दीर्घकाल सुधी नोगने नोगववाथी तेने सफल करीने पठी निश्चे तुं व्रत ग्रहण कर.” महाबले कडं.. “हे मात ! आ मनुष्य शरीर दुःखना घररूप तेमज बहु व्याधि शोकादिकथी गलायतुं . वली ते अस्थि, मांस, वसा, रुधिर, मुत्रअने विष्टानुं मंदिर, निरंतर असुचिनुं स्थान तथा नाशवंत स्वन्नाववालुं ने, माटे बुध्विंत प्राणीयोए ज्यां सुधी इंडियोनी कीणता न य होय, ज्यां सुधी निरोगीपणुं विद्यमान होय अने ज्यां सुधी जरावस्था न आवी होय त्यां सुधी धर्म करी लेवो जोश्ये; ए कारणथी हुँतो चारित्र लश्शा.” माताए कह्यु. “हे पुत्र ! त्हारे कलामां कुशल, रूपवती, शुशीलवाली, त्हारा समान वय अने गुणवाली तथा अनुरक्त एवी आठ बाल्यावस्थावाली स्त्रीयो ने. तो तुं तेननी साथे हर्षथी नोग नोगव्य." महाबले कडं. “ हे मात ! मनुष्याने लोग सुख फक्त आरनमांज कांश्क सुखआपनालं, परंतु परिणामे बहु दारुण जे. तेमज स्त्रीयोनुं शरीर विष्टा, मूत्र
SR No.010762
Book TitleAdinath Charitra
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages489
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Story, Mythology, & Literature
File Size32 MB
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