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________________ श्री कुंथुनाथ चरित्र. (१५७) आने लीधे निरंतर रात्रिने विषे ग्लानी पामता हता. वली लक्ष्मी पण श्रीवचनाचिन्दथी जेना हृदयनो आश्रय करीने रही डे एवा कृष्ण पण ते लक्ष्मी. ना वियोगटीज समुश्मां पमया ने, एम हुं जाणुं इं. ढींचगथी पण नीचे सुधी लांबा एवा प्रन्नुना बन्ने हाथ उगैतिरूप नगरना हारना कमामनी जाणे नोगलो होय नहि शं? एम हुं जाणुं बु. प्रन्नुना हायनी आंगलीयो पण अशोकवृदना पल्लवनो तिरस्कार करती हती. या प्रमाणे जिनेश्वर प्रनुना समग्र देहनी लक्ष्मी पूर्ण-रीते शोनि रही हती. प्रन्नुए वीश हजार अने सामासातसो वर्ष सुधी कुमार अवस्था घणा सुखथी नोगवी, त्यार पठी वैराग्यवंत श्रयेला श्री सूरनूपतिये महोत्सव पूर्वक प्रन्नुने राज्यासने बेसास्या. पी इंशेए स्तुति करेला, करुणाना समुअने तपायमान सुवर्ण समान । कांतिवाला प्रनुए इंश्नी पेठे राज्य करवा मांमयु. तेवीश हजार अने सामा सातसो वर्ष प्रनुए मंगलीकपदे राज्य करयु. एटलामां अनुना शस्त्रगृहने विषे चक्ररत्न नत्पन्न थयु. पनी प्रनु म्होटा नत्सवश्री चक्ररत्ननी पूजा करी शांतिनाथनी पेठे सर्व नरतत्रने साधी बत्रीश हजार राजान सहित हर्षथी गजपुर नगर प्रत्ये आव्या. त्यां तेमनो बार वर्षपर्यंत चक्रवर्तीपणानो अनिषेक यो. पनी प्रन्नुए वीश हजार अने सामासातसो वर्ष सुधी चक्रवर्ती राज्य करथु. त्यार परीप्रन्नु आदर्शनुवनमा रही संपनिना अनित्यपणानो विचार करता हता ते वखते लोकांतिक देवतानये आवीने प्रन्नुनी विनंती करी के, “दे जगवन्! निश्चे आपे नव अने मोद ए बन्नेनी गति जागी ने, माटे हे प्रन्नु! नव्य जीवोना बोधने माटे चारित्र अंगीकार करो अने चार घातिकर्मनो नाश करी केवलज्ञानने मेलवो. वली हे नाथ! धर्म देशनावमे नव्य जीवोने तारो." इ. त्यादि नक्तियुक्त वचनथी जिनेश्वरनी स्तुति करीने लोकांतिक देवतान पोताने धन्य मानता उता अंतर्ध्यान या. पठी जगवाने दानना फलने नहि श्छता उतां पण “अरिहंतोनी आवीज रीतीने" एम धारी पृथ्वीने विषे वर्षादनी पेठे वार्षिक दान आप्यु. पी विजय नामनी पालखीमां बेसीने सर्वे इंशे अने बत्रिश हजार नूपतिनथी विंटलायेला, राजा अने देवतानए स्तुति करेला, मागध जनोए नत्कृष्ट नक्तिथी वारंवार स्तवन करेला, कुलवधुनए अत्यंत मंगल करेला, जूंनक देवतानए ह
SR No.010762
Book TitleAdinath Charitra
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages489
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Story, Mythology, & Literature
File Size32 MB
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