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________________ __ श्री शांतिनाथ चरित्र. (१५३ ) चक्रवर्तीना नोगो नोगव्या एटले लोकांतिक देवताए आवीने तेमनी विनंती करी के, “हे स्वामिन् ! तीर्थ प्रवर्त्तावो.” पठी सांवत्सरी दान प्रापी अने चक्रायुध नामना पुत्रने राज्य सौंपी सर्व देव, दानव अने राजानए बहु नक्तियी पूजेला श्री शांतिनाथ सर्वार्थ नामनी पालखीमां बेसी सहस्त्राम्र वनमां जा त्यां पालखीमांथी नीचे उतरी सर्व आभूषणने त्यजी दर पंचमुष्टि लोच कयो. प्रजुनां वस्त्रोने लश इंडे कीरसमुश्मा नाख्यां. पी जेठ मासनी अंधारी चौदशने दिवसे नरणी नक्षत्रमां चंनो योग बते प्रनुए बतप करीने एक हजार राजान सहित सिध्ने नमस्कार करी सामायिक चारित्रलर पृथ्वी नपर विहार कस्यो अने कोइ सनिवेशमां सुमित्र नामना ग्रहस्थने घेर खीरथी पारणुं करयु. चार ज्ञानना धारणहार अने सर्वे प्राणीयोमा शिरोमणि एवा प्रन्नु उग्रस्थावस्थामां गाम, नगर विगेरे जूदा जूदा स्थानके आठ मास विहार करीने करी हस्तिनापुर नगरे सहस्त्रान वनमा आवीने पत्र तथा फुल विगैरेनी समृध्विाला अने विस्तारवंत एवा नंदिवृदनी नीचे वेग, त्यां शुक्ल ध्यान ध्यातां प्रत्तुने पोष मासनी शुक्ल नवमीने दिवसे नरणी नक्षत्रमां चंनो योग ते चार घाती कर्मनो क्षय थवाथी नज्वल एवं केवलज्ञान नत्पन्न भयुं. ते वखते चार प्रकारना देवतानए त्यां आवी समवसरण रचवा मांमयु. तेमा प्रथम वायुए योजन मात्र नूमीना अशुन्न पुजलो दूर कस्यां. मेघे सुगंधिवाला पाणीथी तेटलीतूमीने सींचन करी, वैमानिक, ज्योतसी अने नुवनपति देवतानए अनुक्रमे रत्नना, सोनाना अने रुपाना एम त्रण गढो कांगरा सहित बनाव्या. दरेक गढमां तोरणवाला चार चार दरवाजा मूकी मध्यमां प्रन्नुना अंगथी बारगणुं नंचं अशोकवृक्ष बनाव्यु. तेनी नीचे चार तरफ चार सिंहासन अने तेना उपर त्रण त्रण त्र तथा बबे चामर बनाव्यां. पली पूर्व तरफना दरवाजेथी समवसरणमा प्रवेश करी प्रन्नु तीर्थने नमस्कार करवापूर्वक पूर्वाभिमुखे बेठा एटले देवतानए बाकीना त्रण सिंहासन्नो नपर त्रण प्रति। मान स्थापन करी. प्रन्नुनी पागल नामंगल स्थापन करी देवताए ढींचण .. प्रमाण पुष्पवृष्टि करी. नंचे आकाशमां देवबुन्नि वागवा लाग्यु. समवसरण जा पहेला गढमां अग्मिखूणाने विषे साधु, साध्वी अने देवांगनान वेठी, नैरूत्य हबूणामां ज्योतिष्क देवांगनान, नुवनपति देवांगनान अने व्यंतर देवांगनान
SR No.010762
Book TitleAdinath Charitra
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages489
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Story, Mythology, & Literature
File Size32 MB
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