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________________ (४) झषिमंमलवृत्ति-पूर्वाधे. र्थपति मृत्यु पामीने नत्तर कुरु देशने विषेत्रण पट्योपमनी आयुष्यवालो युगलीयापणे नत्तपन्न भयो. त्यांथी मत्यु पामीने पहेला देवलोकने विषे त्रण पच्योपमनी आयुष्यवालो देवता श्रयो अने त्यांथी चवीने ज्यां पश्चिम महावि देह क्षेत्रने विषे वैताढ्य पर्वत नपर आवेली गंधिलावती नामे विजयमां रहेला गंधार देशमां गंधसमृद्धि नगरने विषे महा बलवंत एवो अतिबल नामनो राजा राज्य करतो हतो; त्यां ने घनसार्थपतिनो जीव इंड समान कांतिवाला तेना महाबल नामना पुत्रपणे नत्पन्न अयो. पिता मृत्यु पाम्या पठी राज्यासन नपर बेठेलो महाबल राजा इंनी पेठे साम्राज्य पद नोगववा लाग्यो. तेने विनयादि सर्व गुणवाली श्रेष्ट विनयवती नामे स्त्री हती. साधुननो नपासक स्वयंबइ नामे मंत्री हतो अने संनिनश्रोत नामे उष्ट बुध्विालो बीजो पण मंत्री दतो. एक दिवस राज्य सन्नामां नाट्य चालतुं हतुं ते वखते तेमां आसक्त बनेला महाबल राजाने स्वयंबुछ मंत्रीए तत्वना जाणपणाथी विनंती करी के, "हे महाराज! आ सर्व गीत विलाप समान अने नाट्य विगेरे सर्व विटंबना समान . सुवर्णादिना आनरणो नाररूप में अने सर्वे कामो पण खदायी . एम मानीने जिनेश्वर प्रनुए कहेला धर्मने नावधी आदरो. कारण के, जेनाश्री तमने परलोकने विषे पण घणुं सुख प्राप्त थाय. वली हे राजन् ! हवणां आपना घरने विषे देवता समान जे संपत्तिन , ते पण निश्चय पूर्व जन्ममां करेला पुण्यनुं फलज .” आवां स्वयंबु मंत्रीनां वचन सान्नली उष्टबुद्धिवालो बीजो संनिन्नश्रोत मंत्री वोल्यो. “हे प्रनो! आ स्वयंबु मंत्री जे कहे ते सर्व मिथ्या जाणो. स्वामिन्! आप हृदयमां जरा विचार तो करो के, प्राप्त श्रयेला लानने त्यजी दश्ने अप्राप्य एवा लानने माटे कयो पुरुष म्होटो प्रयत्न करे ? आ राज्यादिक मनोरथो हाथमां प्राप्त अयेला , तोपरी थर गयेला अथवा हवे पठी थवाना स्वप्न समान सुख क्यां ! अने वली परन्नव पण कोणे दीगे ! माटे हे महाराज ! आ प्राप्त थयेला नोगोने दीर्घ काल सुधी लोगवो अने जो आप धर्मना अर्थी हो तो अंत अवस्थाने विषे स्वयंबुझ्ना कदेवा प्रमाण ते जैनधर्मने नज्वल करजो.” संनिन्नश्रोत मंत्रीनां वचन सांनली स्वयंवुध कहेवा लाग्यो. " अरे ! रणमां घायल श्रया पठी अश्वादिनुं दम
SR No.010762
Book TitleAdinath Charitra
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages489
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Story, Mythology, & Literature
File Size32 MB
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