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________________ हिन्दी गद्य निर्माण 11 .. राजा भोज का सपना • . [ लेखक--राजा शिवप्रसाद सितारे हिन्द ] . वह कौन-सा मनुष्य है जिसने महा प्रतापी राजा महाराजा भोज का नाम न सुना हो । उसकी महिमा और कीर्ति तो सारे जगत में व्याप रही है। , वड़े-बड़े महिपाल उसका नाम सुनते ही कॉप उठते और बड़े-बड़े भूपति ।' उसके पॉव पर अपना सिर नवाते, सेनां उसकी समुद्र की तरंगों का नमूना .. और खजाना' उसका सोने-चाँदी और रत्नों की खान से भी दूना । उसके । ____दान ने राजा कर्ण को लोगों के जी-से भुलाया और उसके न्याय ने विक्रम को भी लजाया । कोई उसके राज्य भर में भूखा न सोता और न कोई उघाड़ा रहने पाता । जो सत्तु मॉगने श्राता उसे मोतीचूर मिलता और जो . ग़जी चाहता उसे मलमल दी जाती। पैसे की जगह लोगों को अशर्फियाँ बॉटता और मेह की तरह भिखारियों पर मोती बरसाता। एक-एक श्लोक के लिए ब्राह्मणों की लाख लाख रुपया उठा देता और संवा लक्ष ब्राह्मणों को षट्-रस भोजन कराके तब श्राप खाने को बैठता। तीर्थ यात्रा, स्नान, दान और व्रत उपवास मे सदा तत्पर रहता । उसने बड़े-बड़े चांद्रायण किये थे और बड़े-बड़े जगल पहाड़ छान डाले थे। एक दिन शरऋतु में संध्या के समय सुन्दर फुलवाड़ी के बीच । स्वच्छ पानी के कुण्ड के तीर जिसमें कुमुद और कमलों के बीच जल पक्षी किलोलें कर रहे थे, रत्नजटित सिंहासन पर कोमल तकिये के सहारे स्वस्थचित्त । बैठा हुआ वह महलों की सुनहरी कलसियां लगी हुई सगमर्मर की गुमजियों. के पीछे से उदय होता हुआ पूर्णिमा का चन्द्रमा, देख रहा था और निर्जन
SR No.010761
Book TitleHindi Gadya Nirman
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakshmidhar Vajpai
PublisherHindi Sahitya Sammelan Prayag
Publication Year2000
Total Pages237
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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