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________________ १५२ [हिन्दी गद्य निर्माण है। इस देश में कारीगरी का बहुत दिनों से अभाव है महमूद ने जो सोम- ' नाथ के मन्दिर मे प्रतिष्ठित मूर्तियां तोड़ी थीं उससे उसकी कुछ भी वीरता सिद्ध नहीं होती। उन मूर्तियों को तो हर कोई तोड़ सकता था। उसकी .वीरता की प्रशंसा तब होती जब वह यूनान की प्रेम मजदूरी अर्थात् वहाँ वालों के हाथ की अद्वितीय कारीगरी प्रकट करने वाली मूर्तियाँ तोड़ने का साहस कर सकता। वहाँ की मूर्तियों तो वोल रही हैं-वे जीती-जागती हैं, ' मुर्दा नहीं। इस समय के देव स्थानों मे स्थापित मूर्तियाँ देखकर अपने देश की आध्यात्मिक दुर्दशा पर लज्जा अाती है । उनसे तो यदि अनगढ़ पत्थर रख - दिये जाते तो अधिक शोभा पाते । जव हमारे यहाँ के मजदुर, चित्रकार तथा लकड़ी और पत्थर पर काम करने वाले भूखों मरते हैं तब हमारे । मन्दिरों की मूर्तियों कैसे सुन्दर हो सकती हैं ? ऐसे कारीगर तो यहाँ शूद्र के . ' नाम से पुकारे जाते हैं । याद रखिए विना शूद्र-पूजा के मूर्ति-पूजा किंवा कृष्ण । और शालिग्राम की पूजा होना असम्भव है। सच तो यह है कि हमारे सारे धर्म-कर्म वासी ब्राह्मणत्व के छिछोरेपन से दरिद्रता को प्राप्त हो रहे हैं।' यही कारण है जो अाज हम जातीय दरिद्रता से पीड़ित हैं । पश्चिमी सभ्यता का एक नया आदर्श पश्चिमी सभ्यता मुख मोड़ रही है। वह एक नया आदर्श देख रही है । अब उसकी चाल बदलने लगी है । वह कलों की पूजा को छोड़कर मनुष्यों की पूजा को अपना आदर्श बना रही है। इस अादर्श के दर्शानेवाले रस्किन और टालस्टाय आदि हैं । पाश्चात्य देशों में नया प्रभात होने वाला है । वहाँ के गम्भीर विचार वाले लोग इस प्रभात का स्वागत करने के लिए उठ खड़े हुए हैं । प्रभात होने के पूर्व ही उसका अनुभव कर लेने वाले पक्षियों की तरह इन महात्मानों को इस नये प्रभात का पूर्व ज्ञान हुआ है और हो क्यों न ? इंजनों के पहियों के नीचे दबकर वहाँ वालों के भाई वहन-नहीं-नहीं उनकी सारी जाति पिस गई; उनके जीवन के धुरे टूट गये; उनका समस्त धन घरों से निकलकर एक ही दो स्थानों में एकत्र हो गया। साधारण लोग मर
SR No.010761
Book TitleHindi Gadya Nirman
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakshmidhar Vajpai
PublisherHindi Sahitya Sammelan Prayag
Publication Year2000
Total Pages237
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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