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________________ मजदूरी और प्रेम ] एक टोपी सिर पर, एक लंगोटी कमर में, एक काली कमली कंधे पर, एक लम्बी लाठी हाथ में लिए गौवों का मित्र, बैलों का हमजोली, पक्षियों का , महराज, महाराजाओं का अन्नदाता, बादशाहों को ताज पहनाने और सिंहासन पर विठानेवाला, भूखों और नंगों का पालनेवाला, समाज के पुष्पोद्यान, का माली और खेतों का वाली जा रहा है । गडरिए का जीवन एक बार मैंने एक ,बुड्ढे गड़रिए को देखा। घना जंगल है । हरे- . - हरे वृक्षों के नीचे उसकी सुफेद ऊनवाली भेड़ें अपना मुंह नीचा किए हुए कोमल-कोमल पत्तियों खा रही हैं । गड़रिया बैठा अाकाश की ओर देख रहा , ., है । ऊन कातता जाता है। उसकी आँखों में 'प्रेम-लाली छाई है। वह . नीरोगता की पवित्र मदिरा से मस्त हो रहा है । बाल उसके सारे सुफेद हैं और क्यों न सुफेद हो ? सुफेद भेड़ों का मालिक जो ठहरा । परन्तु उसके कपोलों से लाली फूट रही है। बरफानी देशों में वह मानों विष्णु के समान क्षीर सागर में लेटा है। उसकी प्यारी स्त्री उसके पास रोटी पका रही है। उसकी दो जवान कन्याएँ उसके साथ जंगल-जंगल भेड़ चराती घूमती हैं। अपने माता-पिता और भेड़ों को छोड़कर उन्होंने किसी और को नहीं देखा। . मकान इनका बेमकान है, घर इनका बेनाम है; ये लोग बेनाम और . बेपता हैं। किसी घर में न घर कर बैठना इस दरे फानी मे । ठिकाना बेठिकाना और मको वर ला-मको रखना ।। __ इस दिव्य परिवार को कुटी की जरूरत नहीं। जहां जाते हैं, एक ___घास की झोपड़ी बना लेते हैं। दिन को सूर्य और रात को तारागण इनके सखा है। - गड़रिए की कन्या पर्वत के शिखर के ऊपर खड़ी सूर्य का अस्त होना देख रही है। उसकी सुनहली किरणें इसके लावण्यमय मुख पर पड़ रही है । यह सूर्य को देख रही है और वह इसको देख रहा है।
SR No.010761
Book TitleHindi Gadya Nirman
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakshmidhar Vajpai
PublisherHindi Sahitya Sammelan Prayag
Publication Year2000
Total Pages237
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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