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________________ २५ १६८ २६ धरम हीयइ घरउ २५,२२४ २७ आवउ म्हारी सहिया गच्छपति वांदवा २८ श्री विमलाचल सिर तिलउ २६ दीवाली दिन मावीयउ ३० पास जिणद जुहारीयइ जी ३१ वीर बखाणी राणी चेलणाजी ३२ वहिली हो वलण करेज्यो इण दिसइ ३३ वेग पधारउ महला थी ३४ मन मोहनीयइ नी देसी ३५ सुखदाई रे सुखदाइ रे ३६ लोक सरूप विचारो ३७ मो मनड़उ हेडाउ हे मिश्री ठाकुर वइद रउ मोमलरउ हेडाउ हो मिश्री ठाकुर महिंदरउ ३८ इक दिन दासी दोड़ती १२३ ३६ कुशलगुरु पूरो वछित प्राज १२५ ४० पूरव भव तुम्ह सांभलो ४१ चीत्रोड़ी राजा रे मेवाडी राजा रे १२६ ४२ मीजवास उपवास गल ४३ श्राप सवारय जगसहु रे १३२,१७७ ४४ भव तणो परिपाक ४५ नीबयो री जाति ४६ सुगुण सनेही मेरे लाला, वीनती सुणो मेरे कंत. ३७ ४७ विणजारा नी जाति १३८,१६० ४८ यत्तनी १४४,१७२ ४६ चेतन चेत करी १४५ ५० फूलडा गुजराति ५१ नथ गई मेरी नथ ग १५० १२ समय गोयम म करिस प्रमाद ५३ पाहती गोडो वाघारी-भावन री जाति १२७ १५१
SR No.010756
Book TitleJinrajsuri Krut Kusumanjali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year1961
Total Pages335
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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