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________________ शब्द कोश २६१ लेखणि लेखवो लेसालइ वरसइ वरियाम वरियाम वनती २२७ लेखनी १४३ मानो २२७ लेखशाला पाठशाला २०१ खून १६५ लुब्ध १३५ नेत्रो से ५७ लोभ १४७ रक्त १९९ लोह पर वसु लोइ लोभाण लोयणे लोह लोही लोहडइ वहाडि वाँक वागे १६९ वर्षा करता है १४७ बलवान १४७ प्रसव की वेदना १६३ वापिस १२७ वशवत्ती २३२ वहन कराके १७८ टेढ, भूल १२९ चोगे की तरह का पुराना पहनाव २३० वागे का २२४ वागा पोशाक शिकारी ५० मान इज्जत १३२ वर्ण १७९ मना करते ध व्यावर १४७ प्रसूति वागइ । वउलइ ७, २३ बीतते हैं वागउ वउलाऊ ६४ पहुचाने वाला वागरी वच्छ २३० पुत्र, वत्स वान वान वछर ५७ वत्सर वट्ट तउ ५६ वर्तमान वारीजिती रहता हुआ वारू वजाडइ २२६ वजाता है वटाह ७ वालभ मार्ग वावण घण ५६ वर्ण वध्यउ १७९ वढा वावरइ २०५ वचन वास वयरण वयसारि २३१ बैठाकर वाहर घरइ पडइ १४, २२, १२३ विगइ सफल हो विघटइ वरनोली २३१ वर या विछिति , दीक्षार्थी का भोज विणजारा निमत्रण वरय न पड़स्ये १२५ सफल नही विणठो __ होगा विणसाडे १९० उत्तम ९३ वल्लभ ३२ बोने मे २३७ खरचता है २६९ वासक्षेप १९१ सहायतार्थ १६४ विकृति, १६९ विघटितहोना २४१ शोभा ९३ वाणिज्य करने वाला १३६ विनष्ट १४२ नष्ट करते है
SR No.010756
Book TitleJinrajsuri Krut Kusumanjali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year1961
Total Pages335
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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