SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 319
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जिनराजसूरि कृत फुसुमांजलि २५६ पतर्ड १२२ परोसती है दिलाता है? १२० प्रसाद से ७२ २७, ७२ १७० प्रधान पहडे पदठवणे पनोता पमज्जणा पभण पमावस्यै पयडि पयला पयसरउ परघलतउ १६० १५४ पचाग परीस २३६ पदस्थापना पवाडइ पसाइ ११५ ४३ प्रमार्जन पहडइ १९२ कहता है पहाण १२३ गर्व करेगा पहिडे ५४, ५६ प्रकृति पहिराविसि ५६ प्रचला पाखती २४१ प्रवेशोत्सव २१२ पिघलता पाखलि हुआ पागे ५० घर्य देना पाजइ १२६ राजी करू पाड २११ प्रज्वलित होता है पाडइ ७६ जला कर पाडी पाइ २८, १४३ १४४ परचावई परचावू परजलइ २३४ पहनाऊ गी १८५ पास, तरफ, निकट ६ पीछे १२९ पगडी ३४ पद्या सीढी २८, १२९ आभार उपकार १७७ हिसाबमें डालना ६९ पैरोमे लगाना १६४ मुहल्ले १३७ नकालो ६, २०, २१, २३ ४९, ७३, ८९,१३५ परजालि परठि परतउ पाडे ५०, २४२ परिचय पांडो चमत्कार पाणीवल १८२ प्रत्यक्ष १४६ परतिखि परतीठ परतीति पर पूठ पर समय परसर परमेवड पराभव्यउ परियागति परीठ २३८, २४० प्रतिष्ठा २३२ परनिंदा,ईष्या १६३ पीठ पीछे पातरइ २३३ पराये शास्त्र पातरउ २१२ पसीयना प्रस्वेद पातर १८७ हार कर पातरयो १२५ परपरागति १२८ वनात पातत १६३, १६७ धोखा खाना, धोखा देना १६५ प्रमाद, भूल १५६ प्रमाद करता है १५४ ठगा, प्रतो रित किया १३४ पतली
SR No.010756
Book TitleJinrajsuri Krut Kusumanjali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year1961
Total Pages335
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy