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________________ ( २० ) जिहा रहइ सापकाला, न करी सका टाला, बडानइ बाला' । इस्यउ महा अरण्य, तिहा एक परमेश्वर सरण्य । (मू०) ४० अटवी वर्णन (६) शिवा तणा फेत्कार, घूअड़ तणा घूत्कार । सिंघ तणा गुंजारव, व्याघ्र तणा घुर्धरारव । सूयर धुरकइ, चित्रक बरकइ । वेताल किल किलइ, दावानल प्रज्वलइ । रीछ उछलई, अघ्रणी भ्रमह । मृग रमई जिसा हुइ दविधा रूख इसा दीसह भोल इसी वन भूमि ॥ ४ ॥ (मु०) ४१ अटवी-वर्णन (७) महात घोर निर्मानुषी अटवी, जहि-कवहि ठाइ शिवा तणा फेत्कार । कवहि ठाइ अलिंजर तणा फूत्कार, कवहि ठाइ वानर तणावोंकार । कवहि ठाह घूयड़ तणा हूँकार, कवहि ठाइ सीह तणा गुंजारव । - कवहि ठाइ व्याघ्र तणा घरघरारव, कवर्हि ठाइ सूकर धरकइछइ। कवहि ठाइ चीत्रा बरकइ छइ, कवहि ठाइ वेताल किले गिलइ छइ'! कवहि ठाहि दवानल प्रज्वलइ छइ, कवहि ठाहि रीछ सांचरइ छइ ।' कवहि ठाहि विरूतणा यूथ हीड छइ, इसी महाभय वणी अटवी ॥ ४२ अटवी-वर्णन (८) , किहाई धूवडना घूत्कार, कि० शिवा तणा फेत्कार । कि० अलिंजर तणा फूत्कार, कि० शाकिनी तणा रासडा।। - कि० डाकिनी तणा काचडा, कि० कलहस ना कलकलाट । कि० काबरि तणा कर्वराट, कि० चीतरा तणा वर्वराट । कि० सीह तणा गुंजारव, कि० व्याघ्र तणा घुर्घराव । कि० क्षेत्रपाल तणा भैरवारव, कि० वेताल तणा क्ल कल | कि० वलइ दावानल, कि० रीछ तणी श्रेणी साचरइ । २ गुण छोर कुण वाला । सूरा सजे भाला, चतुष्पदरा चाला। घणा पंखिया रा माला। (विशेष) • इसी रौढ अटवी, वसाणइ कुशलधीर कवी ॥ (विशेप)। -सभा कुतूहल से
SR No.010755
Book TitleSabha Shrungar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherNagri Pracharini Sabha Kashi
Publication Year1963
Total Pages413
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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