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________________ (सू०) खरतर गच्छीय कविवर सूरचंद रचित 'पदैकविंशति' नामक ग्रंथ के १८ पत्रों की अपूर्ण प्रति मुनि जिनविजयजी से प्राप्त हुई थी । मूल प्रथ संस्कृत में है, पर बीच-बीच में प्रसगानुसार राजस्थानी भाषा में वर्णन दिये गये हैं। प्रति १७ वीं शती के उत्तरार्द्ध की, अर्थात् रचना के समकालीन लिखित है। ग्रथ अपूर्ण अवस्था में मिला है, अतः पूर्ण प्रति के मिलने पर और भी बहुत से सुदर वर्णन प्राप्त होगे । कु०-१८ वों शताब्दि के कवि कुशल घोर रचित सभा कुतूहल की भी अपूर्ण प्रति प्राप्त हुई है। इसके बहुत से वर्णन तो पदै कविंशति के ही हैं । उसमें कुशलधीर ने बीच-बीच व अंत मे कुछ पक्तियाँ बढा दी हैं । उन पक्तियों में कहीं 'वीर' कहीं 'कुशल वीर' नाम भी निर्देश किया है। पत्र ६ पक्ति १७ अक्षर ७२, प्राप्त वर्णनो की सख्या ३६ है । पत्रो के परस्पर चिपक जाने से कहीं-कही अक्षर नष्ट हो गये हैं। यह ग्रथ कितना बड़ा था, पूर्ण प्रति मिलने पर ही विदित हो सकता है। कौ०='कोतुहलम्' इसकी प्रतिलिपि बहुत वर्षों पूर्व श्री भंवरलाल द्वारा की हुई हमारे सग्रह में थी। इसमें २५ वर्णन है, जो स्वतत्र, मोलिक और सुदर हैं । श्रत में इति 'कौतुहलम' लिखा होने से इसको यह सज्ञा दी हुई है । यथास्मरण प्रति १८ वों शताब्दि की लिखी हुई थी। मु०='मुत्कलानुप्रास' जैसलमेर के यति लक्ष्मीचद जी के संग्रह में १६ वीं शताब्दि के लिखे हुए ७ पत्र प्राप्त हुए जिनमे १०८ वर्णन है । इस प्रति के वोर्डर में 'मुत्कलानुप्रास' नाम लिखा हुआ था। वैसे है यह अपूर्ण ही। इसके कई वर्णन संस्कृत में हैं और कई राजस्थानी में | उपलब्ध प्रतियो मे यह प्राचीनतम है । इसकी पूरी प्रति प्राप्त होना श्रावश्यक है । पत्र ८ पक्ति १८ अक्षर ६२ । पु० अ०=यागम प्रभाकर मुनि पुण्यविजयजो द्वारा यह प्रति प्राप्त हुई। यह १६ वीं शताब्दि की लिखित है। इसके ६ पत्र ही मिले, जिनमे भो बीच का १ पत्र नहीं था । ग्रंथ अपूर्ण होने से 'पु. अ.' सजा दी गई। का० कालिकाचाय की गद्य भाषा कथा से केवल वर्षी योर युद्ध के दो ही वर्णन लिये गये हैं। पु०=इस प्रति का १ पत्र मुनि पुण्यविजयजी से प्राप्त हुअा था । इन प्रतियों में से समा शृगार न० २ और सभा कुतूहल के प्रारम में ही मगलाचरण श्लोक मिलते हैं। अन्य प्रतियो में मगलाचरण का अभाव है। इन दोनों प्रतियों के मगलाचरण नीचे दिये जा रहे हैं
SR No.010755
Book TitleSabha Shrungar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherNagri Pracharini Sabha Kashi
Publication Year1963
Total Pages413
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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