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________________ ( ३२० ) ते हव कि भवनि ? उत्तु ग तोरण मंडप । रत्नमय भूमि । स्वर्ग मय श्रासन | वैडूर्य रत्नमय आडणी, न जाइ किणही तैं छाडणी । अति विशाल | माणिक्य मय स्थाल, चडसट्टि वाटुली, समइ श्रावर्त्तइ वली । ७५ - घर नी श्रोषमा मोटा घर, गया न लागइ कर । वित्त ना डोकर, घणा धाननो भर । चिहु खूणे वासइ अगर, सेज फूलनी पगर । मोटा डागला, तिहा जड्या प्रवाला । मोटीसाला, सोना रूपानी टकसाला | मोटा किवाड, तिहा केलिना झाड़ | जीमइ प्राहुणानी चोल, घूमइ विलोवणा झलझोल, सूहव नारी करइ रंगरोल । साधु नइ दीजै दान, घरणा पकवान, उन्हा धान, रूड़े वान, दया पालै, दुखिया ना दुख टालइ । भिख्यारी नइ दीजइ अन्न, तोल न पाम्यो धन्न । जाता श्रावता आदर करहुएहवा साहूकार ना घर धन सहित छइ । ७६ -- साहूकार रो घर मोटा घर, गयां न लागै कर । बइठां न को डर, घरपा धान नो भर । चिह्न खूरौ वासै अगर, सेफे फूल ना पगर । मोटा श्राला, विहा जडित प्रवाला । जीमे साल दाल | मोटी साल, तिहा खेले बाल । वरे धणा सोना ना थाल, सुरही घी नी नाल, तोरण मोत्या री माल । सोना रूपा नी टकसाल 1 नै , मोटा कमाड, तिहा केलां ना भाड़ । नीने प्रारणा नी श्रोल, घूमै विलोरणा नी मझोल । सुहृद नारी करें रगरोल, 1 साधने दीजै दान, धणा पकवान । ऊन्हा धान, डैवान | दया पाळें, दुखिवा ना दुख टाळे | भिखारी ने दीने अन्न, तो भलै पान्यो धन्न । जाता वां श्रादर करें, पुन्य तसा पोता भरै ॥ एहवा साहूकार ना घर ..... G
SR No.010755
Book TitleSabha Shrungar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherNagri Pracharini Sabha Kashi
Publication Year1963
Total Pages413
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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