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________________ (वि० ) - ( ३१७ ) ज्योतिर्मय, तरप, अंजण, अंजण पुलक, अंकमणी, मणिरिष्ट, मरकत इत्यादि जाति ना रत्न । ७१--रत (५) अश्वरत्न, गजरत्न, पुरुषरत्न, स्त्री रत्न । ___ पद्मराग, पुष्पराग, माणिक, गुरुडोद्भवोद्गार, मरकतरत्न, कर्केतन, वज्र, वैडूर्य, चंद्रकांत, सूर्यकांत, शिवकात, चद्रप्रभ, साकरप्रभ, प्रभानाथ, अशोक, वीत अशोक, अपराजित, गगोदक, मसारगल्ल, हंसगर्भ, पुलग, सौगंधिक, सुभग, सौभाग्यकर, विषहर, धृतिकर, पुष्टिकर, शत्रुहर, अंजन, ज्योतिरस, शुन्नरुचि, स्थूलमणि, गोमूत्र, गोमेद, लसणिया, नीला, तृण चर, वज्रधर, घटकोण, करणी, चापडी, पीरोजा, प्रवाल, मौक्तिक प्रमुख रत्ने करी हाट भयो दीसै छइ ॥ (पू.) ७२ रतनमाला श्राद श्रीनारायणजी। देवां वडो तो देव १ राजारिख तो विश्वामित्र वडा वडी तो प्रथमी २ काल तो महाकाल बं (बहु) रतना तो विसंथुरा ३ गुणवंत तो गुणेस देवता तो विश्वनाथ ४ जखराव तो कुमेर (कुवेर) देवी तो पार्वती ५ गधर बीना तो तुवर बध कामनी तो गंगा ६ पंखराव तो गुरड दईत दलण तो कृष्ण जी ७ नगरी तो अमरावती खेत तो आदखेत ८ पुप तो पारजातग महाखेत तो बाणारसी ६ ब्रख (वृक्ष) तो कल्पवृक्ष पछम खेत तो प्रभात १० हत्ती तो ऐरापति मुकत खेत तो गया जी ११ तुरंगम तो उचास सिघ खेत तो श्रीधान १२ मडारी तो धनाढि आद खेत तो पोहकर १३ पुरष तो पुरुषोतम तीर्थायव (तीर्थराज) तो प्राग (प्रयाग)१४ श्रारंभ तो राम व्याकरण तो पुन्पान १५ परतंग्वा पुरण बो परसयम वेद वत तो ब्रह्माजी १६ अमोहित तो सूक ब्रह्मारिख तो दुरवासा १७ अहंकारी तो रत्णो रावस कलहप्रिय तो नारद १८ माण तो दुर्बोधन
SR No.010755
Book TitleSabha Shrungar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherNagri Pracharini Sabha Kashi
Publication Year1963
Total Pages413
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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