SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 35
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ उसके विभिन्न अंगों के सौंदर्य का चित्रण किया गया है और अनेक गुणों की सूची दी गई है। दुष्ट व्यक्ति के स्वभाव का चित्रण कर संग न करने योग्य पुरुप का स्पष्ट परिचय दे दिया गया है। सभा शृगार के वर्णनों पर मध्ययुगीन सामंती वातावरण का स्पष्ट प्रभाव है । राजाओं के अनेक प्रकार देकर उनके विभिन्न चित्र प्रस्तुत किए गए हैं। झहीं वीर, कहीं उदार, कहीं न्यायी, कहीं दानी, कही यशस्वी और कहीं इन सबका समवेत रूप लिए हुए राना का वर्णन है। रानायो का केवल उदात्त रूप ही नहीं है, उनके अहंकारी लप, कोपातुर रूप, रूठे हुए रूप नादि भी दिखाए गए हैं । रानकुमारों, रानियों और मंत्रियों का भी एकाधिक वार वर्णन किया गया है। पौराणिक नरेशों में राम, रावण, वासुदेव श्रादि का वर्णन है। राजसभा का वर्णन तो विस्तृत है ही, राज्य के अंगों और कई अन्य कर्मचारियों का मी परिचय दिया गया है। प्रथम विभाग में देशों के नाम देने के बाद जो नगरों का वर्णन किया गया है वह कई जगह तो विशेष नगरों का है, जैते पृष्ठ ८ पर नगरवर्णन संख्या ६ में उजयिनी का वर्णन है। लेकिन यह वर्णन भी किसी कालविशेष का वास्तविक वर्णन न होकर लोकाश्रित है। इसीलिये विक्रमादित्य की विभिन्न लोककथाओं में श्रानेवाले विभिन्न नाम इसमें है। कई वर्णनों में यद्यपि नगर का नाम नहीं दिया हुआ है पर उस वर्णन से नगर की समृद्धि और सुव्यवस्था का ज्ञान होता है नगर ने विष खुश्याली दीनै छैभरिया दीसै हाट, अनेफ स्वर्णमय घाट । मोकली पोली वाट, चालै घोड़ा तणा थाट । लोफ नै नहीं फिसो उचाट । नगरवर्णन के अंतर्गत चौरासी चौहटों का नाम दो जगह है। इनसे वानार में मिलनेवाली विचित्र वस्तुत्रो और उनके विक्रेताओं के नामों का पता चलता है। निश्चय ही चौरासी चौहटे किसी बड़े नगर में ही संभव हैं । यहाँ पाई जानेवाली भीड़ इतनी अधिक है कि मनुष्य धीरे धीरे चलते हैं। भीड़ के कारण लोग एक दूसरे का बिलकुल स्पर्श करते हुए चलते हैं । मीड़ के कारण सॉस लेना भी कठिन है। भीड़ इतनी अधिक है कि एक तिनका मी नीचे नहीं गिर सकता। ननर धुमाकर, पीछे मुड़कर, देखना
SR No.010755
Book TitleSabha Shrungar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherNagri Pracharini Sabha Kashi
Publication Year1963
Total Pages413
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy