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________________ ( २६० ) ककण केदार रो, घोडी पाणी पथरी, पुरष पजाब रो, माडा मालवारा, मेहतो मेवाड रा, राजा तो भोज; राणी तो टेंमती, ढाल तो गैडारी, बरछी ऊमट री, कटारी सिकरोदावाद री, रूप तो कामदेव रो, तेन सूरज रो, अमृत चंद्रमा रो, ऋद्धि सिद्धि गणेश री, वह पिराग रो, चावल' कचरी बागड़ री, लूण' सेंधवरो, टया मारु खडरी, सहिर तो लाहौर, दरवाजा अहमदाबाट रा, छाली परबत राजरी, भैस बडाणा री, बलद हडबी जात रो, वेटो तो कलबी रो, घात तो कचन री, पुण्य परब रो, सत सीता रो, हूकडाइ जाट री, झगडो गूजर रो, चोरी थोरी वागरी मीणा री, बुद्धि तो मुगल महाजन री सदासुबुद्धि जतीरो, कुबुद्धि ब्राह्मण री, साचो हीयो धोबी गाडरी रो, भाजणो कायर रो, चोट गोली री, देवल यात्रु रो, पान मधीया रो, वाव सोलीर रा, वाग नवलखो, तमाखू, सूरत री, दिन तौ पुण्याइ रो, वार तो राजा रामचटरी। कौ० (८६ ) अपने वर्ग में विशिष्ट पदार्थ देव मध्यि इन्द्रुः, तार मध्यि चन्द्रुः । पाखिया माहि हंस, जाति माहि चौलुक्य वंशः । देश मध्यि मगध देशः, दर्शन मध्यि जैन वेसु । तिथंच माहि सिंधु, धान्य माहि व्रीहि । रागु माहि पंचम रागु, वाणी माहि तर्क वागु । तेजस्वी माहि सहस किरणु, समुद्र माहि संयभू रमणु । राय मध्यि श्री रामु, हाथिया माहि ऐरावणु। घस्त्र माहि नेत्रु, काब माहि वेत्रु । १. चोखा। • वडाग । ३ काकरेची । ४ उलवी को।। ' पुन विशेष भेष वद्री को। सेव भगवत की। गृदवडा वडाणारा। मसीत शकर की। माडणी राणपुर की। पीठ दिल्ली की । ऊचाइ मेरू पर्वत की । व्रत सील को। पर्व पजूसण को। पुहप चपा को । लिखियो विधना को। फल नालेर को। फूल कमल को। न्याय रामचद्र को । रूप कढर्प को । तेज सूरज को। दान कर्ण को। पर दुख कातर राजा विक्रम । नीर गगा को। जटा शकर की। सीत उत्तर खट को। राव भुगली की। राग केदारो। मेह भाद्रवा को। धर्म माहे धर्न दया। मेना चक्रवती री। तीरथ से जो । बल तीर्थकर रो। सुख तो सतोष रो। बुद्धि अभय कुमाररी। ग्छि शालि मद की। लवधि गोतम स्वामी री। केन्नारो सौभाग्य । शास्त्र माहि सिद्धान्त ! वाजिब माहि भभान्त । (स. ४) .
SR No.010755
Book TitleSabha Shrungar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherNagri Pracharini Sabha Kashi
Publication Year1963
Total Pages413
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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