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________________ (२४४) (५३) अंतर मिथ्यात्व सम्यकत्व जिम अंतर सजन दुर्जन निम अतर सुख दुख ने जिम अंतर पुण्य पापने तिम अंतर, छासि दूध ने जिम अंतर, कपूर लवण ने जिम अतर करतूरी कजल जिम अतर कुकुं केसर जिम अंतर सुवर्ण पीतल लिम अतर गन उंटने अंसर आव नींव ने जिम अतर, कइर कल्पद्रुम ने निम अन्तर, समुद्र कप ने जिम अंतर, खीर कानिने जिम अतर कथिर रुपाने जिम अंतर तिम परस्पर अंतर जाणवो ॥ पू. (५४) महदन्तर (२) मिथ्यात्व सम्यक्त्वयोमहदंतरं, सुनम दुर्जनयोर्महः । सुखदुःखयोर्महदन्तर, पुण्य पापयोर्महदंतरं । छाया तपयोर्मह०, कर्पूर लवपयोर्मह० । कस्तूरिका अंजनयोर्मह०, कुंकम केसरयोर्मह० । सुवर्ण पित्तलयोर्मह०, गजोष्ट्रयोर्मह० । आम्र निंबयोर्मह०, करीर कल्पद्रुमयोर्मह०। सूर्य खद्योतयोर्मह०, समुद्र कूपयोर्मह० । क्षीर काजिकयोमह०, रूपक टंकक सुवर्णयोर्मह० । २० । जो (५५) अंतर (३) जेवउ अंतर मोद नइ ससारु, कृपण नई उदार,। शोकु नह उच्छव, शालि नई कोद्रव । सम्मान नइ परिभव, मेर नइ सरिसव । .
SR No.010755
Book TitleSabha Shrungar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherNagri Pracharini Sabha Kashi
Publication Year1963
Total Pages413
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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