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________________ (: २२७ ) सूर्य सारथि पागुलउइ, मंगल विक्रउ, समुद्र खारउ । रावण परस्त्री कारणिय विगूतउ । राम सीता प्रति वनवास हूउ । पाडव कौरव विरोध वाधिउ । करणिं राई श्रापणी जिह्वा घोडउ बाधउ । विक्रमादित्य काग मास खाधउ, तुही अजरामर न हूयउ। नल राजा परायइ घरि सूवार पण उ करइ । हरिश्चद्र चाडालनइ घरि पाणि भरइ । फरूसराम आपणी माइ तणु शिरः कमलच्छेदई । ) माघ जेवडउ विद्वास पग सूझी भूख मूबउ । नागार्जुन रस सिद्धि पूठि घाठउ । गागेय जेवडइ सुभट पुत्र नइं वरांसइ पडइ । सगर चक्रवर्ति जेवडर साठि सहस्त्र वेटां तणउं दुख देखइ । भरतेश्वर बाहुबलि श्राप माहि सग्राम करइ। वासुदेव बलदेव द्वारिका तणउ दाघ ऊवेखइ। मृत्यु पग हेठि बसइ, संसार माहि सहूयह इद्रजाल दीमइ । तीह कारणी शाश्वती कीर्ति ऊपार्नवी, जगत्रय माहि प्रसिद्धि लेवी ॥ (७) अनुसार (१) मंतोष सारु सुख, सत्य सारु वचनु प्रत्यय सारु लेख, आज्ञा सार राजु विनय सारु शिष्य, पुत्र सारु कलत्रु दान सारु विभवु, टया सारु धर्म । (-पु अ.) (८) अन्योन्याश्रित (२) जेहवो राजा तहवी नीत, भीत सारूचीत ।। रोग तेहवी नीत, कुल सारु रीत, मन केडे प्रीत ।। वाप तेहवो वेटो, बड तेवो टेटो ।। घडो तेहवी ठीकरी, मा तेहवी दीकरी ।। जाल जेहवा मछ, व्याधि तेहवा पथ्य ।। १ जल जेहवो ठाम ।
SR No.010755
Book TitleSabha Shrungar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherNagri Pracharini Sabha Kashi
Publication Year1963
Total Pages413
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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